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(६)
प्रतिरतंत्र
(सन्दर्भ – भाग २ अध्याय १ एवम् चित्र २.२३३
रक्षा
प्रतिमात्मक तंत्र मुख्य तौर पर अस्थि तंत्र (Skeleton System) और लिम्फैटिक
तंत्र (Lymphabe System) द्वारा नियंत्रित होता है।
हाथों की
पैसे की
रीढ़ की हड्डी की
Defence and linmunity system
पसलियों
छाती और
कंधों की
खोपड़ी की
3. 6. H
h, K. S
प्रतिरक्षात्मक
(7)
(bh)
1
रक्त के लाल व श्वेत कणों का उत्पादन
नोट- वयस्कता तक रक्त कणों का सभी हड्डियों
में उत्पादन होता है, किन्तु वयस्कता के पश्चात् इनका उत्पादन मुख्यतः कूल्हे की हड्डी रीढ़ की हड़बी पसलियों व छाती की
में
है।
टॉन्सिल
3
तंत्र
LYMPH NODES IN ARMS AND LEGS
,, H, p. h, k, S
B द्वारा इन लघु चक्रों के माध्यम से ऊर्जन एवम् नियन्त्रण
से प्राण ऊर्जा 3 के द्वारा प्रेषित होती है इसलिए 3 का भी रक्त कणों के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है।
४.६०
अन्य चक्रों पर कुप्रभाव
8
6
यकृत का रक्त क
शुद्धिकरण द्वारा प्रभाव पड़ता है।
8
(11)
अस्थि तंत्र
SKELETON SYSTEM.
लिम्फेटिक तंत्र विषैले बैक्टीरिया आदि अति सूक्ष्म जीवाणु (Vrolent Microbes) को फिल्टर करता है। एवम् नष्ट कर देता है। यह तंत्र प्रतिशरीरों (Anti-Bodies) को बनाता है और एक महत्वपूर्ण प्रकार के श्वेत रक्त कण जो लिम्फोसाइट (Lymphocyte) कहलाते हैं, बनाता है। इन Lymphoytes की एक "याददाश्त आक्रमण जीवाणुओं (Microbes) के विषय के बारे में होती है और ये संक्रमण (Infections) से शरीर की रक्षा करने के लिए उत्तरदायी हैं। थायमस ग्रंथि Tlymphocytes अथवा T. cells का उत्पादन करती है जो वायरस (Virus), फुंगी (fungi) पराजीवी (parasites) कैन्सर की कोशिकायें, बाह्य (foreign) कोशिकाओं आदि से लड़ते है थायमस शरीर के स्वयं के कोशिकाओं और अंगों के आक्रमण से भी प्रतिरक्षात्मक तंत्र का नियमन करता है। प्लीहा असाधारण कोशिकाओं और रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं को फिल्टर करता है और नष्ट करता है।
विद्युत-बैंगनी प्राण ऊर्जा का स्त्रोत होने के कारण
(10)
विद्युत
प्रहण ऊर्जा पूरे शरीर
धठ
7
थायमस ग्रंथि
कारण
(5)
रूप से परिचालन करता है। चों को सुव्यवस्थित खाज्ञाचक्र समस्त
प्लीहा
बैंगनी
का
करने
LYMPH NODES IN THE ABDOMINAL AREA
'8 का 4 के
माध्यम से ऊर्जन एवम् नियन्त्रण
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