Book Title: Adhyatma aur Pran Pooja
Author(s): Lakhpatendra Dev Jain
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1030
________________ की अव्यवस्था, पीट का दुःसाध्य रोग (सर्जरी से पहले व बाद दोनों अवस्था) तथा अन्य भावनात्मक अव्यवस्थाएं जैसे चिंता, उदासी. छिपा हुआ दुःख व नींद की अव्यवस्था को ठीक करने के लिए शेन् पद्धति (जो क्विगांग उपचार का एक विशिष्ट रूप है) बहुत ही लाभप्रद सिद्ध हुई। ए स्टडी ऑफ दि इफैक्ट ऑफ दि इमिटेड क्वि ऑन दि एल- १२१० सैल्स ऑफ ल्युकेमिया इन माइस- लेखक: झाओ शियूजेन व फेंग लिडा (चाइना इम्युनोलोजी रिसर्च सेंटर, बीजिंग, चाइना) डी.बी.ए. चूहे के ल्युकेमिया के एल- १२१० कोशिकाओं पर उत्सर्जित ओजस्वी ऊर्जा के प्रभाव का परीक्षण किया गया था। परीक्षण के लिए चुने गये चूहों के समूह को प्रतिदिन १०-१४ मिनट तक दस दिनों तक ओजस्वी ऊर्जा दी गई जबकि नियंत्रण ग्रुप का कोई इलाज नहीं किया गया। सामान्य सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखा गया कि एल- १२१० कोशिकाएं अभी भी उपस्थित थीं। इस कारण आंकड़ों के फर्क को पहचाना गया (पी 0.0१) । इस बात का ध्यान में रखकर यह सुझाया गया कि ओजस्वी ऊर्जा प्राप्त करने के बाद चूहों में एल--- १२१० कोशिकाओं की संख्या में आशातीता कमी की जा सकती है। क्विगांग इन आस्ट्रेलिया- एन इफैक्टिव वैपन अगेंस्ट स्ट्रैस- लेखक : जैक लिम् (क्विगांग स्कूल ऑफ आस्ट्रेलिया) तनाव से छुटकारा पाने के लिए क्विगांग बहुत ही लाभकारी माध्यम माना गया है। तनाव के दिखाई देने वाले लक्षणों में हृदय की धड़कन में तेजी, शारीरिक थकान और अनिद्रा, पेट में अल्सर या फोड़ा, अधिक रक्त-दाब तथा अन्य हृदय रोग दिखाई देते हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट में जिन ४०० लोगों का उदाहरण दिया गया है, उन सभी की परिस्थितियों में सुधार बताया गया है। ये सभी विभिन्न प्रकार के व्यवसाय जैसे डॉक्टर, व्यापारी, वकील, कम्प्यूटर विशेषज्ञ, कलाकार, घरेलू स्त्रियां, विद्यार्थी और सेवानिवृत्त व्यक्ति थे।

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