Book Title: Adhyatma aur Pran Pooja
Author(s): Lakhpatendra Dev Jain
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1035
________________ अभी तक लगभग अनछुआ है। विभिन्न पौधों और वृक्षों में कौन-कौन से प्राण उपलब्ध होते हैं, विभिन्न प्राणों का उन पर क्या प्रभाव पड़ता है। और प्राण दृष्टिकोण से मनुष्य एवम् पशुओं के किस प्रकार वे उपयोगी हो सकते हैं। (ख) प्राण ऊर्जा के पता लगाने एवम् मापने के गूढ़ संयंत्र को विकसित करना - Developing Sophiticated equipment that can detect and quantify prana or vital energy प्राणिक प्रेषण और प्राण ऊर्जा की खपत नापने के गूढ़ संयंत्र को विकसित करने की आवश्यक्ता है। किर्लियन फोटोग्राफी की एक बहुत बड़ी कमी यह है वह केवल छोटे-छोटे ऊर्जा के आकारों अथवा संयंत्र के सम्पर्क में आये हुए वस्तुओं की ही फोटो ले सकता है। एक ऐसे अधिक व्यवहारिक और उन्नत किस्म के केमरे के विकास की आवश्यक्ता है जो ऊर्जा की वस्तुओं अथवा ऊर्जा-जीवियों के चित्रों की दूर से ही फोटो ले सके । (ग) प्राण ऊर्जा का शरीर के कोशिकाओं पर प्रभाव Effect of Pranic Energy on Body Cells यह किस प्रकार होता है । जब त्वचा गर्म तेल के सम्पर्क में आती है तो कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं । किन्तु यदि प्राण उपचार तुरन्त ही कर दिया जाए, तो त्वचा को क्षति नहीं पहुंचती अथवा बहुत कम क्षति होती है । प्राण ऊर्जा कोशिकाओं व उसके भागों पर यह किस तरह से प्रभाव डालती है? (घ) रंगीन प्राणों की सहायता से कृत्रिम रासायनों को बनाना Production of Synthetic Chemicals with the help of Colour Pranas जब नारंगी - लाल प्राण ऊर्जा ताजे घाव प्रेषित की जाती है, तो घाव शीघ्रता से भर जाता है। इस संबंध में अध्याय ८ के क्रम संख्या ११ तथा अध्याय ६ के क्रम १० (१८) को देखिए । क्या नारंगी - लाल प्राण किसी रासायन या रासायनों के उत्पादन को उत्तेजित करता है जिससे धाव के उपचार की गति बढ़ जाती है? यदि ५.५६३

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