Book Title: Adhyatma aur Pran Pooja
Author(s): Lakhpatendra Dev Jain
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1034
________________ कि बवासीर रोग में गुदा के क्षेत्र पर लाल प्राण का घनापन होता है। . और जाहिर है कि गर्म मसालेदार भोजन के द्वारा, जिसमें काफी मात्रा में लाल प्राण होता है एरोग बढ़ जाएगा। जिन व्यक्तियों के कब्ज होने की प्रवृत्ति होती है, वह अपनी दशा पपीता खाकर सुधार सकते हैं, जिसमें काफी मात्रा में नारंगी प्राण होता है जो दस्त करने के लिए उत्तेजित करता है। रंगीन प्राण ऊर्जा के गुणों के आधार पर जड़ी बूटियां और दवाओं का विभागीयकरण- Classifying herbs and drugs using the properties of Colour Pranas रंगीन प्राणों के गुणों के दृष्टिकोण से जड़ी-बूटियों और दवा के विभागीयकरण की प्रस्तावना की जाती है। इन सबका एक चार्ट बनाया जा सकता है। लम्बवत स्तर पर विभिन्न रंगीन प्राणों और मिश्रित रंगीन प्राणों और उनके गुण दर्शाए जाएं। क्षितिज स्तर पर शरीर व फिर विभिन्न अंगों/उपांगों को दर्शाया जाय। जड़ी-बूटियों और दवाओं की तब उस चार्ट में यथायोग्य सूची बनायी जाए। जैसे मूत्र लाने वाली (diuretic) दवा को नारंगी अथवा पीला-नारंगी प्राण जिसका निष्कासन का गुण होता है के अन्तर्गत रखा जाए। दर्द नाशक (Analgesics or pain killers) दवाओं को नीले प्राण जिसका सुकून देने का प्रभाव होता है, के अन्तर्गत रखा जाए। जो जड़ी-बूटियां रक्त के थक्के को घोलती है, उनको हरे प्राण जो कि तोड़ता है और घोलता है, के अन्तर्गत रखा जाए। इस चार्ट में जिनसँग नामक जड़ी-बूटी, जिसका वर्णन अध्ययाय ३२ में किया गया है, का भी उल्लेख किया जा सकता है। इस चार्ट को भरने के लिए अनेकों अनुभवी जड़ी-बूटियों व औषधि-कारकों को बहुत अधिक शक्ति और समय का उपयोग करके दृढ़-निश्चयात्मक प्रयत्न करने होंगे। पौधे / वृक्ष और प्राण अध्याय ३६ के क्रम २ में वर्णन किया गया है कि किस प्रकार पौधों को ऊर्जा के उपचार द्वारा शीघ्र विकसित किया जा सकता है। यह क्षेत्र

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