Book Title: Adhyatma aur Pran Pooja
Author(s): Lakhpatendra Dev Jain
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1029
________________ एक से पच्चीस वर्ष तक के काल में भोजन एलर्जी के मेडिकल परीक्षण के साथ ५२ रोगियों के इलाज का उल्लेख किया गया। एक्युपंचर पद्धति के सहयोग से क्विगांग उपचार का प्रयोग इस इलाज में किया गया जिसमें एक्युपंचर का उपयोग इलाज की प्रारम्भिक अवस्था में तथा क्विगांग का उपयोग अंतिम अवस्था में किया गया। एक्यूपंचर के केन्द्रों को पहचाना गया और सामान्यतः उन्हीं स्थानों को चुना गया जिनसे प्लीहा, जिगर, आमाशय, और फेंफड़ों की ओजस्वी ऊर्जा का उपयोग करने से वह ऊर्जा और अधिक बढ़ जाती है जिससे यह फायदा होता है कि आंतरिक अंगों के कार्य करने और शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। इसका परिणाम यह रहा कि एलर्जी की प्रतिक्रियाओं में भारी कमी हुई और भोज्य पदार्थों में एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों की कमी हुई। (३) दि इफैक्ट ऑफ दि इमिटेड क्वी ऑन दि इम्यून फंक्शंस ऑफ माइस- लेखक: वांग युशेंग, फेंग लीडा, चेन शुयिंग और चेन हाइशिंग (चाइना इम्यूनोलोजी रिसर्च सेंटर, बीजिंग, चाइना) क्वी या ओजस्वी ऊर्जा के संपर्क में आने के बाद शरीर की प्रतिरोधी क्षमता पर कोई प्रभाव पड़ता है, यह जानने के लिए चूहे पर एक परीक्षण किया गया था। __अच्छे प्रशिक्षित क्विगांग मास्टरों द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा प्राप्त करने के बाद शरीर का परीक्षण करने से यह पता चला कि ओजस्वी ऊर्जा पेट-झिल्ली (पेरिटोनियल) के मैक्रोफेजेस (peritoneal macrophages) की भक्षकाधु (फैगोसाइटिक) क्रिया में काफी वृद्धि करती है और साथ ही एसिड फॉस्फेट्स की प्रक्रिया में भी वृद्धि करती है। जिसका अर्थ यह हुआ कि ओजस्वी ऊर्जा प्रतिरोधी तंत्र में सहयोग देने वाली पेट-झिल्ली के मैक्रोफेजेस को उत्तेजित कर सकती है। इफैक्ट्स ऑफ विभाग ऑन साइको-सोमैटिक एण्ड अदर इमोशनली रूटेड डिस्ऑडर्स – लेखक : रिचर्ड आर. पोवक, (यू.एस.ए) संभावित भावनात्मक मूल अव्यवस्थाओं, विशेषकर मासिक धर्म व उससे पहले की कठिनाइयां, आधे सिर का दर्द, आंतों का असह्य रोग, भोजन ५.५५७

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