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(घ) यदि .बांह प्रभावित है, तो c (a, e, H} /E R और यदि पैर प्रभावित है,
तो ch, k, S)/ E R - H तथा में प्रेषित प्राणशक्ति का
स्थिरीकरण न करें। (ङ) C (1, 4)/ ER (च) C" 6/Ew (छ) 05/EW – सावधानी से (ज) उक्त क्रम ८ (ट) के अनुसार
(झ) उपचार को सप्ताह में तीन बार करिए। (१०) रिह्यूमैटोइड संधिवात-Rheumatoid Arthiritis
1, 4, 5 और 6 प्रभावित होते हैं। [ तथा प्लीहा वायवी तौर पर गंदे होते हैं। बहुत से केसों में मालूम पड़ता है कि इस रोग का भावनात्मक कारण होता है। 6 गलत ढंग से कार्य करता है, जिससे 1, [ तथा प्लीहा प्रभावित हो जाते हैं। मैडिकल दृष्टिकोण से, इस प्रकार की संधिवात जोड़ के अंदरूनी झिल्ली ( inner membrmace called syrovium) पर सूजन हो जाने का नाम है, जिससे लम्बे समय में जोड़ का कार्टिलेज (Cartilage) क्षतिग्रस्त हो जाता है। (क) Gs (ख) C" , CLIE 6GBO (ग) C' (प्रभावित पैर या बांह तथा उसके समस्त लघु चक्र तथा AP)G:0
(यदि समुचित सफाई हो जाये, तो रोगी को आंशिक आराम मिलता है) (घ) E (AP) GBV (ड) E (प्रभावित पैर या बांह के समस्त लघु चक्र) W या R) - H अथवा 5 में
प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (च) C' (1, 4) | E R (छ) C' 5/5 W- यदि रोगी को उच्च रक्तचाप है, तो E 5 न करें। (ज) उक्त क्रम ८ (ट) के अनुसार
(झ) उपचार को सप्ताह में तीन बार करिए। (११) Systematic Lupus Erythematosus- (यह रोग बहुधा महिलाओं में पाये जाने ।
वाला विकार है, जिससे त्वचा पर तितली की तरह निशान पड़ जाते हैं)