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अध्याय – २३ प्राण ऊर्जा द्वारा मनोरोगों का
उपचार-सामान्यPranic Psychotherapy. General
(Treatment of Psycho diseases) (१) इस प्रकार के उपचार के लिए उपचारक की आवश्यक योग्यता (क) उसको माध्यमिक प्राणशक्ति उपचार में दक्षता प्राप्त हो गई हो (भाग ५,
अध्याय ५)। (ख) द्वि-हृदय पर ध्यान चिन्तन विधि अथवा अन्य प्रकार से अथवा दैवीय
आशीर्वाद से, संवेदनशीलता बढ़ी हुई हो। (ग) उन्नत प्राण चिकित्सा एवम् रंगीन ऊर्जा द्वारा प्राण चिकित्सा की कम
से कम अर्ध-दक्षता प्राप्त हो गयी हो। (२) चक्रों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव (क) भाग ४ के अध्याय-११ "ऊर्जा चक्रों का कार्य एवम् शरीर पर प्रभाव" के
अन्तर्गत विभिन्न चक्रों के वर्णन के अन्तर्गत चक्रों के मनोवैज्ञानिक प्रभावों का वर्णन दिया है। सहज सन्दर्भ हेतु वह निम्नवर्णित हैं:1- यह स्व-जीवित रहने और स्व-सरंक्षण (Self-survival and self
preservation) का केन्द्र है। मायूस व्यक्तियों के चक्र पर खोखलापन होता है और यह कम सक्रिय होते हैं। जो अव्यवहारिकता का जीवन यापन करते हैं, उनका भी चक्र खाली होता है। इसकी ऊर्जा परावर्तित होकर 8, 11 और मस्तिष्क में जाती है। अतएव मानसिक स्वस्थता के लिये 2 का स्वास्थ्य आवश्यक है।
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