Book Title: Adhyatma aur Pran Pooja
Author(s): Lakhpatendra Dev Jain
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 996
________________ रोगी के लिए"हे प्रभु, मैं विनम्रता पूर्वक आपके दिव्य आशीर्वाद तथा उपचार के लिए धन्यवाद देता हूं। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ। (तीन बार) उपचारक के लिए "हे प्रभु, मैं विनम्रतापूर्वक आपके दिव्य मार्गदर्शन, दिव्य उपचार और दिव्य सुरक्षा के लिए धन्यवाद देता हूं। मेरे मन, वचन, काय द्वारा उपचार में जो भी गल्तियां हुई हों उनके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूं और आपसे प्रार्थना करता हूं कि इससे रोगी को किसी प्रकार की हानि न पहुंचे। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ।" (तीन बार, तदुपरान्त) "हे आध्यात्मिक गुरुओ, उपचारक गुरुओ और उपचारक देवदूतो, मैं विनम्रतापूर्वक आपके दिव्य मार्गदर्शन, दिव्य उपचार और दिव्य सुरक्षा के लिए धन्यवाद देता हूं। मेरे, मन, वचन, काय द्वारा उपचार में जो भी गल्तियां हुई हों, उनके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूं और आपसे प्रार्थना करता हूं कि इससे रोगी को किसी प्रकार की हानि न पहुंचे। (तीन बार) धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ 1" (ङ) जब तक आवश्यक्ता हो, उपचार सप्ताह में कई बार दोहराइए। आश्चर्यजनक दिव्य उपचार की तकनीक यह तकनीक उन रोगियों पर अपनायी जा सकती है, जिनको ईश्वर तथा अन्य आध्यात्मिक गुरुओं आदि के प्रति अति सम्मान व भक्ति हो। इन भावनाओं से वायवी शरीर काफी साधारण बैंगनी प्राण ऊर्जा उत्पन्न करता है। इसी कारण से बैंगनी रंग का अध्यात्म से सम्बन्ध होता है। साधारण बैंगनी प्राण से शरीर एवम् वायवी शरीर दोनों के ही दिव्य ऊर्जा अथवा ev को ग्रहण करने की अत्यधिक क्षमता हो जाती है। इस प्रकार आश्चर्यजनक उपचार होता है। वह व्यक्ति जो ईश्वर एवम् आध्यात्मिक गुरुओं आदि की आलोचना करते रहते हैं ५.५२४

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