Book Title: Adhyatma aur Pran Pooja
Author(s): Lakhpatendra Dev Jain
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1019
________________ (३) वायवी तौर पर कमरे की सफाई- Etherical cleansing of Room __कभी-कभी कहीं किसी कमरे में नकारात्मक भावनाओं वाले व्यक्ति के रहने अथवा कुछ समय तक ठहरने के कारण वह कमरा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। इसी प्रकार किसी गम्भीर रोगी की किसी कमरे में उपस्थिति अथवा किसी व्यक्ति की मृत्यु होने के फलस्वरूप कमरा गंदी व रोगग्रस्त ऊर्जा, नकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक सोच के आकारों व नकारात्मक परजीवियों से भर जाता है। स्वस्थ रहने के लिए एवम् इनके संक्रमण से बचने के लिए ऐसे कमरे की वायवी स्वच्छता आवश्यक है। इसके लिए पहले आप कमरे से समस्त वस्तुएं हटाकर उसमें चन्दन की धूप एवम् चन्दन की कई अगरबत्तियां जलाएं। फिर अध्याय १ के कम संख्या ०? (घ) में शर्णिन विधि द्वारा एक हरे आग के गोले का निर्माण करें, जिसका व्यास लगभग दो फुट हो। इसको सुनिश्चित करने के पश्चात् ईश्वर से प्रार्थना करते हुए ev को 11 - H तकनीक द्वारा ग्रहण करें और उससे तीन बार कमरे में विद्यमान गंदी व रोगग्रस्त ऊर्जा, नकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक सोच के आकारों व नकारात्मक परजीवियों को खींच-खींचकर उस आग के गोले में नष्ट हो जाने हेतु लगातार फेंकते रहने के लिए निवेदन करें। इस प्रकार आप कमरे के एक कोने से प्रारम्भ करके एक तरफ काफी धीरे-धीरे चलते हुए ev द्वारा उक्त कार्यवाही को यथासम्भव करवाते हुए, हरे आग के गोले को भी अपनी इच्छाशक्ति द्वारा अपने आगे-आगे चलाते रहें। कमरे के दूसरे सिरे पर पहुंचकर फिर वापस अपनी पूर्व दिशा की ओर, लेकिन थोड़ा सा हटकर मुड़कर इसी क्रिया को दोहराएं। इस प्रकार आप कमरे के फर्श को पूरी तौर पर सफाई करें, कहीं कोई जगह छूट न जाए। इसके पश्चात् इसी विधि द्वारा आप कमरे के चारों दीवालों पर तथा कमरे की छत पर आग के गोले को चलाते हुए ev द्वारा वांछित कार्य करवाते हुए, प्रक्रिया पूरी करें। अन्त में, अध्याय १ के क्रम संख्या १३ (घ) में विधि द्वारा उस हरे आग के गोले को नष्ट करें एवम् जिस ऊर्जा द्वारा आग का गोला बनवाया था, उसको एवम् ev को धन्यवाद दें। ५.५४७

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