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(3) जिनके प्राणिक ऊर्जा घनी (congested) हो उन पर यह न करे |
यह परासामान्य विद्यार्थियों के भी हो सकती है, जो उन्नत प्रकार की ऊर्जा या योग का अधिक अथवा गलत अभ्यास करते
(४) E3 अधिक न करें, अन्यथा उच्च रक्त चाप हो सकता है।
अगले कुछ दिनों तक रोगी काफी कमजोर और अशांत महसूस कर सकता है क्योंकि इससे प्राण ऊर्जा का घनापन हो जाता है। मस्तिष्क भी आंशिक रूप से प्रभावित हो जाता है और ध्यान केन्द्रित करने में रोगी को कठिनाई हो सकती है। इस हकीक को सदि इस्तेमाल करना हो या की गई हो, तो E 5 न करें। इससे शरीर अत्यधिक ऊर्जित होकर, उस पर वही प्रभाव पड़ेगा जैसे कि 1 और 3 के अधिक सक्रियता एवम् E से। ग्लाकोमा के रोगी पर इसको इस्तेमाल न करें। कुष्ठ रोगी पर न करें वरना, इससे समस्त शरीर में कुष्ठ रोग शीघ्रता से फैल जायेगा। फैन्सर तथा ट्यूमर के रोगियों पर इस तकनीक को न करें,
अन्यथा हालत काफी खराब हो जायेगी। (६) जिगर के सूजन के रोगी पर यह तकनीक न करें अन्यथा
कोशिकाओं के तेजी से बढ़ने के कारण cirrhosis (जिगर की
एक दीर्घकालीन बीमारी) हो सकती है। (१०) अतिश्वेतरक्तता (leukemia) रोगियों पर यह तकनीक न करें,
वरना उनकी हालत खराब हो जायेगी। (११) यह उपचार गम्भीर हृदय रोगियों पर न करें, वरना प्राणिक
घनेपन के कारण, उनकी हृदय गति रुक सकती है।