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(ट)
(ञ) जो रोगी वातस्फीति से पीड़ित हों, उनके फेफड़े की सफाई बहुत
जरूरी है। अगले कुछ दिनों तक दिन में दो बार इलाज करें। जब कुछ ठीक आराम होने लगे तब इलाज दिन में एक बार किया जा राकता है। फिर बाद में लगभग एक वर्ष या अधिक समय तक सप्ताह में तीन बार इलाज करें। जो रोगी निमोनिया से पीड़ित हैं, उनका इलाज दिन में तीन से पांच बार करना चाहिए क्योंकि प्राणशक्ति का खर्च तेजी से होता है। मैडिकल डॉक्टर व प्राणशक्ति उपचारकों द्वारा रोगी की तब तक लगातार देखरेख कई दिनों तक करनी चाहिये जब तक कि उसकी
हालत ठीक नहीं हो जाती। उपक्रम (१५) दमा- Asthma
इसका इलाज दो भागों में है- पहले में रोगी को दमे के आक्रमण से बचाना और उसके श्वसन तंत्र का उपचार करना तथा दूसरे भाग में रोग के कारण को धीरे-धीरे खत्म करना है। (क) GS (कई बार) क्योंकि रोगी के बाहरी व स्वास्थ्य मण्डल कभी-कभी
कुछ भूरे हो जाते हैं। (ख) T' (8, 8) (ग) C Lu (आगे, पीछे व अगल-बगल में) IT 7b (Lu को ऊर्जित व ताकत
देने के लिए) (घ) CL (आगे, पीछे व अगल-बगल में)/ T 6-8, 8', 7b और 6 का
उपचार करने से रोगी पूरी तौर पर ठीक होगा। 6 और L का इलाज करने से धीरे-धीरे रक्त भी साफ और अच्छा तैयार होगा क्योकि । रक्त
से दूषित पदार्थों को अलग करता है। (ड) T (9, 1) - 1 हड्डियों को नियंत्रित व ऊर्जित करता है तथा रक्त की
गुणवत्ता को भी नियंत्रित करता है।