Book Title: Acharang Sutram Pratham Shrutskandh
Author(s): Vikramsenvijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 240
________________ शनी ३५ तत्थ - उपासमा कहं णु णाम - वी रीते. रमइ - २५९॥ ७२री. 3 ? एयं - म. गाणं - शानने सया - सहा-ईमेशा समणुवासिज्जासि - स्वयंन ६६यमा घा२९॥ ४२j सोऽये. , ભાવાર્થ :- સંસારના સ્વરૂપને વિશેષ પ્રકારે સારી રીતે જાણીને જે પુરૂષ પ્રવજ્યા સ્વીકારવા તૈયાર થાય છે તેઓના માતા-પિતા આદિ મમતા સાથે મોહભરી વાતો કરીને તેને ગૃહસ્થવાસમાં રાખવાની કોશિશ કરે છે. પરંતુ તે વિવેકી પુરૂષ ગૃહવાસને સમસ્ત દુઃખોનું કારણ સમજીને તેનો ત્યાગ કરી દે છે અને સંયમ સ્વીકાર रीने सात्मत्याना मार्ग त२३ अग्रेसर थाय छे. ॥ १८०॥ भावार्थः- संसार के स्वरूप को भली भांति जान कर जो पुरुष प्रव्रज्या अङ्गीकार करने को तैयार होता है उसके माता पिता आदि ममता एवं मोह भरी बातें करके उसको गृहवास में रखने की कोशिश करते हैं किन्तु वह विवेकी पुरुष गृहवास को समस्त दुःखों का कारण समझ कर उसका त्याग कर देता है और संयम स्वीकार कर आत्म कल्याण की ओर अग्रसर होता है ॥१८०॥ द्वितीय उद्देशकः) - પ્રથમ ઉદ્દેશામાં સ્વજનવર્ગનો ત્યાગ કરવો તે બતાવ્યું, તે ત્યાગ ક્યારે સફળ થાય છે કે જ્યારે કર્મોનું વિધૂનન થાય અર્થાત્ ક્ષય કરાય, એટલે જ આ ઉદેશામાં કર્મવિધૂનનનો ઉપદેશ કરાય છે. - प्रथम उद्देशक में स्वजनवर्ग का त्याग बताया परंतु वह त्याग तभी सफल हो सकता है जब कर्मों का क्षय किया जाय, अतः इस उद्देशक में कर्मविधूनन का उपदेश दिया जाता है। .: अनन्तरं स्वजनविधूननमुक्तं तच सफलं स्यात्यदि कर्मधूननं स्याद् कर्मविधूननार्थमिदमुपक्रम्यते - आउरं लोगमायाए चइत्ता पुवसंजोगं हिच्चा . उवसमं वसित्ता बंभचेरंसि वसु वा अणुवसु वा जाणित्तु धम्मं जहा तहा, अह एगे तमच्चाइ कुसीला ॥१८१॥ ___ आतुरं लोकं ज्ञानेनाऽऽदाय ज्ञात्वा, त्यक्त्वा पूर्वसंयोगं, हित्वा-गत्वा उपशमम्, उषित्वा च ब्रह्मचर्ये वसुर्वा - साधुः अनुवसुर्वा श्रावको वा ज्ञात्वाऽपि धर्म यथातथा, अथैके मोहोदयात् कुशीला तं पालयितुं न शक्नुवन्तीति ॥ १८१ ॥ अन्वयार्थ :- लोगं - सोने आउरं - मातुर आयाए – Onlने पुब्बसंजोगं - पूर्व संयोगने चइत्ता - छोरीने उवसमं - १५२मभावने हिच्चा - प्राप्त प्रशने मने बंभरंसि - प्रत्ययतुं पासन रीने वसु - साधु वा - अथवा अणुवसु - श्राप धम्मं - धन। जहा - यथार्थ १३५ने जाणित्तु - 99ीने ५९अह - मान॥ ५७. एगे - 505 05 तं - ते भने अचाइ - पाली. .5ता नथी मने कुसीला - कुशाल 25 14 छ. आवारांब सूत्र 0000000000000000000000000000(२१७

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