Book Title: Acharang Sutram Pratham Shrutskandh
Author(s): Vikramsenvijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 320
________________ नष्ट करने वाला कोई कारण विशेष उपस्थित हो गया है तो वह संलेखना काल में ही धैर्य के साथ शीघ्र ही भक्तपरिज्ञा का सेवन करे ॥६॥ संलेखना झरा शरीर की शुद्धि किया हुआ मुनि अपने मरण काल को समीप जान कर ग्रामादि से तृणों की याचना कर लावे । फिर ग्राम या जंगल में बिस्तर बिछाने की भूमि की प्रतिलेखना करे। उसके पश्चात् उस भूमि को प्राणियों से रहित जान कर उस पर उन तृणों को बिछावे ॥७॥ वह साधु अपनी शक्ति के अनुसार त्रिविध या चतुर्विध आहार का त्याग करके तथा समस्त प्राणियों से क्षमा याचना करके उस तृणों की शय्या पर सो जाय । वहाँ यदि कोई परीषह उपसर्ग प्राप्त हो तो वह उसे समभाव पूर्वक सहन करे और अपने पुत्र कलत्र आदि प्रियजनों का स्मरण कर आर्तध्यान के वशीभूत न होवे ॥८॥ चींटी, श्रृगाल, गीध, सर्प और सिंह, व्याघ्र आदि प्राणी यदि उस साधु का मांस भक्षण करें और मच्छर आदि उसका रक्त पान करें तो साधु हाथ आदि के द्वारा उन प्राणियों का घात न करे और जिस अङ्ग को वे खा रहे हों उसे अङ्ग का रजोहरण के द्वारा प्रमार्जन भी न करे ॥९॥ __ उपरोक्त हिंसक प्राणियों द्वारा रक्त मांस का भक्षण किया जाता हुआ वह मुनि ऐसा विचार करे कि "ये प्राणी मेरे शरीर का घात कर रहे हैं, ज्ञान दर्शन चारित्र का नहीं" ऐसा विचार कर उन प्राणियों को हटाने का प्रयत्न न करे तथा कष्ट से बचने के लिए उस स्थान से हट कर अन्यत्र भी न जाय । समस्त आस्रवों के हट जाने से शुभ अध्यवसाय वाला होने के कारण हिंसक प्राणियों के द्वारा खाया जाता हुआ भी वह साधु अमृत पान से तृप्त हुए जीव की तरह उस वेदना को कुछ वस्तु ही न माने एवं समभाव पूर्वक सहन करे ॥१०॥ गन्थेहिं विवित्तेहिं, आउकालस्स पारए । पग्ग-हियतरगं चेयं, दवियस्स वियाणओ ॥ ११ ॥ अयं से अवरे धम्मे, नायपुत्तेण साहिए। आयवजं पडीयारं, विजहिजा तिहा तिहा ॥ १२ ॥ हरिएसु न निवजिजा, थंडिलं मुणिया सए । विओसिज अणाहारो, पुट्ठो तत्थऽहियासए ॥ १३ ॥ इन्दिएहिं गिलायन्तो, समियं आहरे मुणी । तहावि से अगरिहे, अचले जे समाहिए ॥ १४ ॥ अभिक्कमे पडिक्कमे, संकुचए पसारए । काय-साहारणट्ठाए, इत्थं वावि अचेयणो ॥ १५ ॥ परिक्कमे परिकिलन्ते, अदुवा चिट्टे अहायए । ठाणेण परिकिलन्ते, निसीइजा य अंतसो ॥ १६॥ . श्री आचारांग सूत्र 900000000000000000000000000७(२९७)

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