Book Title: Aagam 11 VIPAK SHRUT Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 44
________________ आगम “विपाकश्रुत” - अंगसूत्र-११ (मूलं+वृत्ति:) (११) श्रुतस्कंध: [8], ..............------------ अध्य यनं [२] ---------------------- मूल [१२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [११], अंग सूत्र - [११] "विपाकश्रुत" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१२] विपाके मित्तं जाव परिवुडा रोयमाणी कंदमाणी चिलवमाणी विजयमित्तसत्यवाहस्स लोइयाई मयकिच्चाई करेति, तते उज्झिश्रुत०१णं सा सुभद्दा सत्थवाही अन्नया कयाई लवणसमुद्दोत्तरणं च लच्छिविणासं च पोपविणासं च पतिमरणं तकाध्य. च अणुचिंतेमाणी २ कालधम्मुणा संजुत्ता (सू०१२) तते णं ते जगरगुत्तिया सुभई सत्यवाहं कालगयं जा- वेश्यागा॥५२॥ |णित्ता उज्झियगं दारगं सयाओ गिहाओ निच्छुभंति निच्छुभित्ता तं गिहं अन्नस्स दलयंति, तते णं से मिता उज्झियए दारए सयाओ गिहाओ निच्छूढे समाणे वाणियगामे णगरे सिंघाडग जाव पहेसु जूयखलएसु वे- सू० १३ सिताघरेसु पाणागारेसु य सुहंसुहेणं परिवहुति, तते णं से उजिझयए दारए अणोहहिए अणिवारिए सच्छं दमती सइरपयारे मज्जप्पसंगी चोरजूयवेसदारप्पसंगी जाते यावि होत्था, तते णं से उझियते अन्नया कट्रयाई कामजझपाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे जाते यावि होत्था, कामज्झयाए गणियाए सद्धिं विउलाई उरा-14 दीप अनुक्रम SARKAR [१५] १ 'मित्त' इत्यत्र यावत्करणाविच रश्य-णाइणियगसंबंधित्ति, तत्र मित्राणि-मुहरः शातयः-समानजातयः निजका:पितृव्यादयः सम्बन्धिनः-श्वशुरपाक्षिकाः, 'रोयमाणी'त्ति अणि मुञ्चन्ती 'कंदमाणी'ति आक्रन्दं महाध्वनि कुर्वाणा 'विलवमाकणी'त्ति आस्वरं कुर्वन्ती। २ 'अणोहट्टएति यो बलाद्धस्तादौ गृहीत्वा प्रवर्तमान निवारयति सोऽपघट्टकस्तभावादनपघट्टकः, 13. अणिवारिए'त्ति निषेधकरहितः, अत एव 'सच्छंदमइति स्वच्छन्दा स्ववशेन वा मतिरस्य खच्छन्दमतिः, अत एव 'सइरप्पयारे' स्वैरं अनिवारिततया प्रचारो यस्य स तथा 'वेसदारपसंगीति वेश्याप्रसङ्गी कलत्रप्रसङ्गी चेत्यर्थः, अथवा वेश्यारूपा ये दारास्तत्प्रसङ्गीति । 442 ॥ ५२ ~ 43~

Loading...

Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132