Book Title: Aagam 11 VIPAK SHRUT Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(११)
“विपाकश्रुत” - अंगसूत्र-११ (मूलं+वृत्ति:) श्रतस्कंध: [१], ................----- अध्ययनं [३] -------.... --.--- मूलं [१७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [११], अंग सूत्र - [११] "विपाकश्रुत" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक [१७]]
विपाके जपत्थियापिडए गेहंति, पुरिमतालस्सणगरस्स परिपेरतेसु बहवे काइअंडए य घूघूअंडए य पारेवइ टिटिभि अभन्नश्रुत०१६डए य खग्गिअ मैयूरि कुकुडिअंडए य अण्णसिं च पाहणं जलयरथलयरखयरमाईणं अंडाई गेण्हंति गेण्हेत्ता सेनाध्य.
पत्थियपिडगाई भरेति जेणेव निन्नयए अंडवाणियए तेणामेव उवागच्छद २ निन्नयगस्स अंडवाणियस्स उ- पूर्वभवः ॥५८॥
वणेति, तते णं से तस्स निन्नयस्स अंडवाणियस्स बहवे पुरिसा दिण्णभतिक बहवे काइअंडए य जाव कु-15 सू० १७ कुडिअंडए य अन्नेसिं च बाहूर्ण जलयरथलयरखहयरमाईणं अंडयए तेवएसु य कवल्लीसु य कंडुएस यम-18
जणएसु य इंगालेसु य तलिंति भज्जेति सोल्लिंति तलेता भजंता सोल्लेता रायमग्गे अंतरावणसि अंडयएहि । माय पणिगएणं वित्ति कप्पेमाणा विहरति, अप्पणावि य णं से निन्नयए अंडवाणियए तेहिं बहहिं काइय
अंडएहि य जाय कुकुडिअंडएहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भजेहि य सुरं च आसाएमाणे विसाएमाणे - १ 'पथिकापिटकानि च वंशमयभाजनविशेषाः, काकी घूकी टिटिभी बकी मयूरी कुर्कुटी च प्रसिद्धा, अण्डकानि च प्रतीतान्येवेति। २ 'तवएसु यति तवकानि-सुकुमारिकादितलनभाजनानि 'कवल्लीसु यत्ति कवल्यो-गुडादिपाकभाजनानि 'कंडुसुत्ति क
न्दवो-मण्डकादिपचनभाजनानि, 'भज्जणएम यत्ति भर्जनकानि कर्पराणि धानापाकभाजनानि, अकाराश्च प्रतीताः, 'तलिंति' अनौ 8 स्नेहन, भजन्ति-भानावत्पचन्ति 'सोहिंति यत्ति ओदनमिव राध्यन्ति खण्डशो वा कुर्वन्ति 'अन्तरावर्णसि'त्ति राजमार्ममध्य-13॥५८॥
भागवहिढे 'अंडयपणिएणति अण्डकपण्येन । ३ ५ 'सुरं चेत्यादि प्राग्वत् ।
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दीप अनुक्रम [२०]
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