Book Title: Aagam 11 VIPAK SHRUT Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
(११)
प्रत
सूत्रांक
[३१]
दीप
अनुक्रम
[३३]
विपाके
श्रुत० १
॥ ८४ ॥
“विपाकश्रुत” - अंगसूत्र - ११ ( मूलं + वृत्तिः)
श्रुतस्कंधः [१],
अध्ययनं [९]
मूलं [३१]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [११], अंग सूत्र - [११] "विपाकश्रुत" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
वित्तवारसाहियाए विउलं असणं ४ जाव मित्तणाति णामधे करेंति तं होऊ णं दारिया देवदत्ता णा- ७९ देवदत्ता. मेणं, तए णं सा देवदत्ता पंचधातीपरिगहिया जाव परिवहृति, तते णं सा देवदत्ता दारिया उम्मुकबाल - | भावा जोव्वणेण रूवेण लावण्णेण य जाब अतीव उक्किट्ठा उक्किहसरीरा जाया याचि होत्था, तते णं सा देवदत्ता दारिया अन्नया कयाह पहाया जाव विभूसिया बहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ता उपिं आगासतलगंसि कणगतिंदूसेणं कीलमाणी विहरइ, इमं च णं वेसमणदत्ते राया पहाए जात्र विभूसिए आसं दुरूहित्ता बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे आसवाहिणीयाए णिज्जायमाणे दत्तस्स गाहावइस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं विश्वयति, तते णं से वेसमणे राया जाव विश्वयमाणे देवदत्तं दारियं उप्पिं आगासतलगंसि कणगतिंदूसेण य कीलमाणीं पासति, देवदत्ताए दारियाए जुवणेण य लावण्णेण य जाव बिम्हिए कोडुंबियपुरिसे सहावेति सावेत्ता एवं वयासी—कस्स णं देवाणुप्पिया! एसा दारिया किं वा नामघेज्जेणं?, तते णं ते कोइंबियपुरिसा वेसमणरायं करयल० एवं क्यासी –एस णं सामी! दत्तस्स सत्यवाहस्स धूआ कन्नसिरीए भारियाए अत्तया देवदत्ता नामं दारिया रुवेण य जुग्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किहसरीरा, तते णं से वेसमणे राया आसवाहणियाओ पडिनियत्ते समाणे अभितरहाणिज्जे पुरिसे सहावे अभितरट्ठाणिजे पुरिसे सहावेत्ता एवं बयासी - गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया ! दत्तस्स धूयं कन्नसिरीए भारियाए असयं
For Parta Use Only
श्यामायाः सपलीना
~ 107~
मृतिः - श्वामारणं
सू० ३१
॥ ८४ ॥
waryra
*** अत्र मूल संपादने सूत्र क्रमांकने एका स्खलना दृश्यते यत् सू० ३० स्थाने सू० ३१ इति क्रम मुद्रितं, [ मूल संपादनमें भूलसे सूत्र का क्रम ३० के बजाय ३१ छप गया है| इसिलिए हमे भी सूत्रक्रम- ३१ लिखना पड़ा है।

Page Navigation
1 ... 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132