Book Title: Aagam 11 VIPAK SHRUT Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 1
________________ [११] श्री विपाक(श्रुताङ्ग)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । “विपाकश्रुतम्” मूलं एवं वृत्ति: [मूलं एवं अभयदेवसूरि रचित वृत्तिः ] [आदय संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ] (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | 13/10/2014, सोमवार, २०७० आसो कृष्ण ५ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....आगमसूत्र-[११], अंग सूत्र-[१५] “विपाकश्रुत" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः

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