Book Title: Aagam 11 VIPAK SHRUT Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 70
________________ आगम (११) “विपाकश्रुत” - अंगसूत्र-११ (मूलं+वृत्ति:) श्रतस्कंध: [१] ... .....------ अध्ययनं [४] ........ ... .- मूलं [२१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [११], अंग सूत्र - [११] "विपाकश्रुत" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: विपाके श्रुत०१ प्रत सूत्रांक सू०१८ [२१] दीप अनुक्रम साहंजणीए नयरीए सुदसणाणामं गणिया होत्था वन्नओ, तत्व णं साहंजणीए नयरीए सुभदे नाम सत्थ- ४ शकटा. वाहे परिवसइ अहे, तस्स णं सुभहस्स सत्यवाहस्स भद्दानामं भारिया होत्या अहीण, तस्स णं सुभ- छणिकदसत्य पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे नामं दारए होत्था अहीण, तेणं कालेणं तेणं समएणं स-SI भवः मणे भगवं महावीरे समोसरणं परिसा राया य निग्गए धम्मो कहिओ परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स जेटे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाडे तत्थ णं हत्थी आसे पुरिसे तेसिं च णं पुरिसाणं| | मज्झगए पासति एग सइत्थीयं पुरिसं अवउडगबंधणं उक्खित्त जाव घोसेणं चिंता तहेच जाव भगवं वागरेति, एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नाम गरे होत्या, तत्थ सीहगिरिनाम राया होत्या महया , तत्थ णं छगलपुरे णगरे छणिए नामं छगलीए परिवसति अहे० अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं छणियस्स छगलियस्स बहवे अयाण य एलाण य रोज्झाण य वसभाण प ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सतबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहाणि वाढगंसि सन्निरुद्धाई चिट्ठति, अन्ने य तत्थ यहवे पुरिसा दिन्नभइभ-18 सवेपणा बहवे य अए जाव महिसे य सारक्षमाणा संगोवेमाणा चिटुंति, अण्णे य से बहवे पुरिसा अ|याण य जाव गिर्हसि निरुद्धा चिटुंति, अन्ने य से बहवे पुरिसा दिनभइ बहवे सयए य सहस्से य जीवि-IPu५॥ याओ ववरोविंति मंसाई कप्पिणीकप्पियाई करति छणीयस्स छगलीयस्स उवणेति, अन्ने य से बहवे पुरिसा [२४] SAREauratonintamanna अत्र मूल संपादने शीर्षक-स्थाने सूत्र-क्रमांकने एका स्खलना दृश्यते- यत् सू० २१ स्थाने सू० १८ इति क्रम मुद्रितं ~69~

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