Book Title: Aagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 1849
________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [७], मूलं [८०२-८०४] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [८०२ -८०४] गाथा: ||१५, एएसिं चेव भत्तिवाहमाणेणं एएसिं थेष बन्नसंजलणया, सेतं अणचासायणयाविणए, सेसं दसणविणए, २५ शतके प्रज्ञप्तिः से किं तं चरित्तविणए , च २ पंचविहे पं०, तं०-सामाइयचरित्तविणए जाव अहक्खायचरित्तविणए, सेतं | उद्देशा अभयदेवी-&चरित्तविणए, से कितं मणविणए ?, म०२दुविहे पं०, तं-पसत्यमणविणए अपसत्थमणविणए य, से किं |||| | तपोभेदाः या वृत्तिः२ तं पसत्यमणविणए ?, पस०२ सत्तविहे प०, तंजहा-अपावए असावज्जे अकिरिए निरुवकेसे अणण्हवकरे - सू८.२ ॥९२२॥ अच्छविकरे अभ्याभिसंकणे, सेत्तं पसस्थमणविणए, से किं तं अपसत्यमणविणए , अप्प० २ सत्तविहे |पं०, तं-पावए सावजे सकिरिए सउचक्केसे अपहवयकरे छविकरे भूयाभिसंकणे, सेत्तं अप्पसस्थमणविणए, सेत्तं मणविणए, से किंतं चइविणए?, व०२ दुविहे पं०२०-पसत्यवइविणए अप्पसस्थवइविणए य, से किं तं पसत्यवइविणए ?, प०२ सत्तविहे पं०, तं०-अपावर जाव अभूयाभिसंकणे, सेत्तं पसत्यवइविणए, से किं तं अ-18 पसत्यवइविणए?, अ०२ सत्तविहे पं०, २०-पाचए सावज्जे जाव भूयाभिसंकणे, सेत्तं अपसत्यवयविणए, से तं वयविणए, से कितं कायवि०१,२ दुविहे प०,०-पसत्यकायविणए य अप्पसत्यकायविणए य, से किं तं पसत्थकायवि०१, पस०२ सत्तविहे पं० संजहा-आउत्तं गमणं आउत्तं ठाणं आउत्तं निसीयणं आउत्तं तुपट्टणं आउत्तं उल्लंघणं आउत्तं पल्लंघणं आवत्तं सबिंदियजोगजुंजणया, सेत्तं पसत्यकायविणए, से किं तं अप्पस. स्थकायविणए ?, अ०२ सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-अणाउत्तं गमणं जाव अणाउत्तं सर्विवियजोगजुजणया, 18 सेतं अप्पसत्थकायविणए, सेसं कायविणए, से किं तं लोगोवयारविणए ?, लोगो०२ सत्तविहे पं०,० दीप अनुक्रम [९६३-९६९] "॥९२२॥ तपः, तस्य अर्थ, तस्य भेद-प्रभेदाः, ~ 1848~

Loading...

Page Navigation
1 ... 1847 1848 1849 1850 1851 1852 1853 1854 1855 1856 1857 1858 1859 1860 1861 1862 1863 1864 1865 1866 1867 1868 1869 1870 1871 1872 1873 1874 1875 1876 1877 1878 1879 1880 1881 1882 1883 1884 1885 1886 1887 1888 1889 1890 1891 1892 1893 1894 1895 1896 1897 1898 1899 1900 1901 1902 1903 1904 1905 1906 1907 1908 1909 1910 1911 1912 1913 1914 1915 1916 1917 1918 1919 1920 1921 1922 1923 1924 1925 1926 1927 1928 1929 1930 1931 1932 1933 1934 1935 1936 1937 1938 1939 1940 1941 1942 1943 1944 1945 1946 1947 1948 1949 1950 1951 1952 1953 1954 1955 1956 1957 1958 1959 1960 1961 1962 1963 1964 1965 1966 1967