Book Title: Aagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 1944
________________ आगम (०५) “भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [३५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [२-१२], उद्देशक [१-११], मूलं [८५९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: SHAKADCOMCACASCALCDS* है कण्हलेस्सकडजुम्मरएगिदिया णं भंते ! कओ उवव०१, जहा पढमसमयउद्देसओ नवरं ते णं भंते! जीवा कण्हलेस्सा, हंता कण्हलेस्सा, सेसं तं चेव । सेवं भंते सेवं भंते ! ति ॥२२॥ एवं जहा ओहियसए ४ एकारस उद्देसगा भणिया तहा कण्हलेस्ससएवि एक्कारस उद्देसगा भाणियवा, पढमो तइओ पंचमो य सरि-3 | सगमा सेसा अट्ठवि सरिसगमा नवरं चउत्थछट्टअट्ठमदसमेसु उववाओ नस्थि देवस्स । सेवं भंते ! २त्ति । ॥३५ सए बितियं एगिदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥ एवं नीललेस्सेहिदि सयं कण्हलेस्ससयसरिसं ४ एकारस उद्देसगा तहेव । सेवं भंते! २॥ ततियं एगिदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥ एवं काउलेस्सेहिदि सयं कण्हलेस्ससयसरिसं । सेवं भंते! २त्ति ॥ चउत्थं एगिदियमहाजुम्मसयं ॥ भवसिद्धियकजुम्मरएगिदिया ण भंते! कओ उवव०१, जहा ओहियसयं तहेब नवरं एकारसमुवि उद्देसएसु, अह भंते ! सबपाणा |जाव सषसत्ता भवसिद्धियकडजुम्मरएगिदियत्ताए उववन्नपुवा?, गोयमा! णो इणढे समढे, सेसं तहेव । सेवं भंते! २त्ति ॥ पंचम एगिदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥५॥ कण्हलेस्सभवसिद्धियकडजुम्मरएगिदिया णं भंते! कओहिंतो उवव०१, एवं कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहिवि सयं वितियसयकण्हलेस्ससरिस भाणियत्वं । सेवं भंते! सेवं भंते! ति ॥ उ8 एगिदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥६॥ एवं नीललेस्सभवसिद्धियएगिदियएहिवि सयं । सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥ सत्तमं एगिदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥ ७॥ एवं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहिवि तहेव एकारसउद्देसगसंजुत्तं सयं, एवं एयाणि चत्तारि भवसिद्धि ~ 1943~

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