Book Title: 125 150 350 Gathaona Stavano
Author(s): Danvijay
Publisher: Khambat Amarchand Premchand Jainshala

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Page 131
________________ दौसी गायानु स्वपन. भागे, एत्थणं के० अहीयां, मणिपेडिया के० मणिनी पीठिका छे. ते पीठिका ये योजन आयाम लांबी, अने विरकंभ के० पोहोली छ. जोयण के० एक जोजन, बाइलणं के० जाडपणे छे. सर्व मणिमयी छे. अच्छ के निर्मल छे-इत्यादिक वर्णववी. तीसेणं मणिपेदियाए उपि के० ते मणिपीठिका उपर, एत्यणं के० अहींयां, एगेमई के० एक महोटो, देवच्छंदए के० देवच्छंदो छे. ते प्रभुने वेसवानुं पर विशेष पन्नते के० कधु छे. ते वे यो. जन लावू पहोलु छ ने योजन झाझेरु उचुं छे. सर्व रत्नमयी, अच्छ के निर्मल छे. सूत्र"तत्य णं देवच्छंदए अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाणमेत्तागं सन्निरिकत्त चिट्ठए नासिणं जिण पडिमाणं अयमेवारूवे वण्णावासे पनत्ते ।।" अर्थ-तत्थ णं के ते देवच्छंदाने विषे अठ्ठसयं जिणपडिमाग के० एफसो आठ जिनेश्वरनी प्रतिमा ते केवी छ। जिणुस्सेहप्पमाणमेत्ताणं के० जिनेश्वरना शरीरनु उस्सेह जे ऊंचपणुं ते प्रमाण मात्र छे. एटले पांचशे पनुष्य प्रमाणे छे. सनिरिकत्तं के० रूडी रीते थापनाए रह्यो छे. वासिणं जिणपडिमाणं के० ते जिनमतिमानो, अयमेयारूवे के० ए एहवाखरूप, वण्णावासे के वर्णावासवर्णव, पबचे के० कह्यो छे. सूत्र-" तं जहा तवणिजमया हत्थतला पायतला, अंकामयाई णखाई, अंतो लोहियरकपरिसेयाई, कणगामया पादा, कणगामया गोप्फा, कणगामइओ जंघाओ, कणगामया जाशें, कणगामया उरु, कणगामईओ गायलठीओ, तपणिज्मईओ णाभीओ, रिट्ठमइओ रोमराजीओ, तवणिधम्या चुच्चया, तवणिज्जमया सिरिवच्छा, कणगईओ वाहाओ, कणगमयाओ गीवाओ, रिट्ठमये मंसू सिलप्पवालमया ओट्ठा, फलिहमया दंता तवणिजमईओ जीहाओ, तवणिजमया तालुया, कणगमइओ णासाओ, अंतो लोहिअरकपरिसेआओ, अंकामयाई अच्छीणि, अंतो लोहियरकपरिसेआई, पुलमामईओ दिट्ठिओ, रिट्ठामईओ तारगाओ, रिट्ठमयाई अच्छिपचाई, रिठ्ठामईओ भाहाओ, कणगामया कवोला, कणगामया सवणा, कणगामया निलाडवटा, वइरामईओ सीसघडीओ, तवणिजमइओ केसंत केसभूमिओ, रिट्ठामया उवरिसुद्धया ॥" अर्थ-तं जहा के. ते वर्णव करे छे. तवणिज्जमया के० वपाव्या सुवर्णमयी, हत्थतला के हाथ तलीओ छे. पायतला के० पगनां तलीयां छै एटले हाथ पगना तलीयां रावा छे. अंकामयाई के० अंकरत्नमयी नख छे; एटले सफेद छे. अंतो के० मध्ये, लोहिअरकपरिसेयाई के० लोहिताक्षरत्ननी राती रेखा छे. कणगामयाओ पादा के० मुवर्णमय पग छे, कणगामया गोप्फा के० सुवर्णमय गुल्फ एटले धुंटीओछे कणगामईओ जंघाओ के मुवर्णमयी जंघाथोछे, हीचणथी हेठली ते जंघा कहीए. कणगामया जाणु के० सुवर्णमयी दींचण छे. कणगामयाउरु के० कनकमय साथलछे कणगामईओ गायलठ्ठीओ के० कनकमयी गात्रयष्टिछेएटले शरीर छे. तपणिज्जमईओणामियो के० वपाव्या मुवर्णमयीनाभिछे एटले रातीछे. रिट्ठामईओ रोमराईओ के० श्यामरत्नमय रोमराजी शरीरनी छे तवणिज्जमया चुचुया के० तपाच्या सुवणमय चुचुक छे एटले स्तनाप्रदेश रावा छे. तवणिज्जमया सिरिवच्छा के० तपाव्या सुर .. तस्यच .

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