Book Title: 125 150 350 Gathaona Stavano
Author(s): Danvijay
Publisher: Khambat Amarchand Premchand Jainshala

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Page 279
________________ ( ११३ ) अर्थ - जे पंथी लोकने लुटतांथकां चोरने कोइ के० कोइक पुरुष एम कहे जे लुंटे छे पण ते चोर वाटने लुंटता नथी पण वाटे के० वाट जे मार्ग तेने विष रह्या जे लोक ते लुटाय छे पण लक्षणे एम कहे छे जे वाट लुंटी. तेमज मूंढो के० मूर्ख ते शरीर तथा आत्मा प्रमुखने एक करी गणे छे शा माटे जे एक क्षेत्रे मल्या के० जे क्षेत्रे आत्मा तेज आकाश प्रदेशे मल्या परस्पर संबंध थयो एंवा जे अणुतणी के० परमाणुनी विकृति के विकारने देखतो के० देखीने मूर्ख एम गणे छे. अने जीवनी प्रकृति जे खभाव तेने उवेखतो के० लेखांमां अणगणतो थको जीव तथा शरीरादिकने एकपणे गणे छे पण एम जाणतां नथी जे पुद्गल ने जड छे अचेतन छे, अने आत्मा तो ज्ञानस्वरुपी छे ते एक केम थाय. इतिभावः ॥ ५ ॥ देहं कर्मादि सविकाज पुहलतणां, जीवना तेह व्यवहार माने घणां । सयल गुणठाण जीअठाण संयोगथी, शुद्ध परिणाम विण जीव कारय नथी ॥ ६ ॥ १० अर्थ - ते मा देह के० शरीर तथा ज्ञानावरणादि कर्म अने आदि शब्दयी घरवार प्रमुख ए सर्व पुद्गलनां कार्य के पुद्गलथी नीपनां छे ते पुद्गलनां कार्यने जीवनां कार्य कही बोलावे छे ते व्यवहार माने घणां के० ते व्यवहार नयथी जीवनां कार्य कहीयें पण निवय नये तो सर्व पुद्गलस्वरूप छे. सयल गुणठाण के समस्त मिध्यालादिक गुणस्थानक तथा जी ठाण के समस्त एकेंद्रियादिक जीवस्थानक इत्यादिक सर्व प्रकार ते संयोगथी के० पुंगल कर्माटिकना संयोगथी जाणवा पण ए आत्मस्वरूप नहीं केमके शुद्ध परिणाम के० समस्त उपाधि रहित जेना प्रदेशने विषे एक अणुमात्र पण भेल नथी एवं जे शुद्ध स्वरूप विना जीव कारय नथी के० जीवरूप कार्य नथी ॥ ६ ॥ नाणदंसण चरण शुद्ध परिणाम जे, तंत जोता न छे जीवथी भिन्न ते । रत्न जेंम ज्योतिथी काज कारण पणे, रहित एम एकता सहज नाणी मुणे ॥ ७ ॥ अर्थ - ज्ञान दर्शनं तथा चारित्र इत्यादिक अनंत जे शुद्ध आत्माना परिणाम छे ते तंत नियतपणाथी जोड़ तो कांइ जीव थकी भिन्न नथी केमके ज्ञानादिक गुण जो भिन्न होय तो आत्मा निर्गुण जडपणे मानवो जोइयें ते तो नथी माटे जीवयी ज्ञानादिक गुण भिन्न नथी, जेम स्फटिक रत्न प्रमुख पोतानी ज्योतिथी भिन्न नथी. शा माटे जे काज कारणपणे कहेतां कां पूरवनुं नथी केमके जो रत्नथी ज्योति यह एम कहियें तो ज्योति विना रत्न हतुंज नहीं माटे रत्नथी ज्योति थइ एम कहेवाय नहीं. तथा ज्योतिथी रन थयुं एम पण

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