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श्री
४
व्यवहार
सूत्रम् तृतीय उद्देशकः ७६० (A)
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सूत्रम्-गणावच्छेइए गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता ओहाएजा जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा ॥१९॥
___ गणावच्छेइए य गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता ओहाएज्जा, तिणि संवच्छराणि M तस्स तप्पत्तियं नो कप्पति आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेदियत्तं वा उद्दिसित्तए वा | धारेत्तए वा।
तिहिं संवच्छेरेहिं वीतिक्कंतेहिं चउत्थगंसि संवच्छरंसि पट्ठियंसि उट्ठियंसि ठियस्स उवसंतगस्स उवरयस्स पडिविरयस्स निम्वियारस्स एवं से कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेदियत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा ॥२०॥ ___ आयरिय-उवज्झाए आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता ओहाएज्जा, जावजीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणाच्छेदियत्तं वा उद्दिसित्तएवा धारेत्तए वा ॥२१॥
आयरिय-उवज्झाए आयरिय-उवझायत्तं निक्खिवित्ता ओहाएजा, तिण्णि
सूत्र १९-२२
गाथा |१५९९-१६०३
पदयोग्याऽयोग्यतादिः
७६० (A)
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