Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 02
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 511
________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 1033 // अट्ठो?, तएणं से उदायणे राया केसिंरायं एवं व०- इच्छामिणं देवाणुप्पिया! कुत्तियावणाओ एवं जहा जमालिस्स (श०९ उ०३३) नवरं पउमावती अग्गकेसे पडिच्छइ पियविप्पयोगदूसणा, तएणं से केसी राया दोच्चंपि उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयावेति दो० रत्ता उदायणं रायं सेयापीतएहिं कलसेहिं सेसं जहा जमालिस्स जाव सन्निसन्ने तहेव अम्मधाती नवरं पउमावती हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सेसंतंचेव जाव सीयाओ पच्चोरुभति सी० २त्ता जेणेव समणेभ० म० ते. उवा० रत्ता समणं भ०म० तिक्खुत्तोवं. नमवं. नमंत्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमति उ० रत्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं तं चेव पउमावती पडिच्छति जाव घडियव्वं सामी! जाव नोपमादेयव्वं तिकट्ठ, केसी राया पउमावती यसमणंभ०म० वं० नम० रत्ता जाव पडिगया। तए णं से उदायणे राया सयमेवपंचमुट्ठियं लोयं सेसंजहा उसभदत्तस्स (श०९ उ०३३) जावसव्वदुक्खप्पहीणे॥सूत्रम् 491 // ८तएणं तस्स अभीयिस्स कु० अन्नदा कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अन्भत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं उदायणस्स पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए, तएणं से उदायणे राया ममं अवहाय नियगं भायणिज्ज़ केसिकुमारं रजे ठावेत्ता समणस्स भ० जाव पव्वइए, इमेणं एयारूवेणं महया अप्पत्तिएणं मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे अंतेपुरपरियालसंपरिवुडे सभंडमत्तोवगरणमायाए वीतीभयाओ नयराओ पडिनिग्गच्छंति रत्ता पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगाम दूइजमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव कूणिए राया तेणेव उवा० रत्ता कूणियं रायं उवसंपज्जित्ताणं विह० तत्थवि णं से विउलभोगसमितिसमन्नागए यावि होत्था, तएणं से अभीयीकुमारे समणोवासए यावि होत्था, अभिगय जाव विहरइ, उदायणंमि रायरिसिंमिसमणुबद्धवेरेयाविहोत्था, तेणंकालेणं 2 इमीसेरयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसुचोसटुिंअसुरकुमारावाससयसहस्सा प०, तएणंसे अभीयी कुमारेबहूईवासाइंसमणोवासगपरियागंपाउणति रत्ता अद्धमासियाएसंलेहणाए तीसंभत्ताई अणसणाएछेएइ 13 शतके उद्देशक:६ नारकाधुपपाताधिकारः। सूत्रम् 491 प्रभुः-चंपान० सिन्धुसौ० वीतीभयउदायनधर्मजागरिकापुत्राभीच्यपहाय भगीनेय-- केसिराज्याभिषेकउदायनदीक्षा मोक्षादि। सूत्रम् 492. अभीच्यप्रीतिकुणिकाश्रयवैरानुबन्धअनालोचितपापकर्माऽसुरकुमारे इत्यादि। // 1033 //

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