Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 02
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 1062 // अभिलावेण मित्यादौ, आइड्डि उद्देसए त्ति दशमशतस्य तृतीयोद्देशके, निरवसेसं ति समस्तं प्रथमं दण्डकसूत्रं वाच्यम्, तत्र चाल्पर्धिकमहर्द्धिकालापकः समर्द्धिकालापकश्चेत्यालापकद्वयंसाक्षादेव दर्शितम्, केवलं समर्द्धिकालापकस्यान्तेऽयं सूत्रशेषो दृश्यः, गो.! पुव्विंसत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीई० नो पुब्बिं वीईवइत्ता पच्छा सत्थेणं अक्कमिज्जत्ति, तृतीयस्तु महर्द्धिकाल्पर्द्धिकालापक एवं महड्किए णं भंते! देवे अप्पड्डियस्स देवस्स मज्झम० वीइ.?, हंता वीइ०, सेणं भंते! किं सत्थेणं अक्कमित्ता पभू अण. पभू? शस्त्रेण हत्वाऽहत्वा वेत्यर्थः, गो०! अक्क०वि पभू अण०वि पभू, से णं भंते! किं पुव्विं सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीइ. पुव्विं वीइ. पच्छा सत्थेणं अक्क.?, गो०! पुव्विं वा सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीइ. पुव्विं वा वीइ. पच्छा सत्थेणं अक्क० त्ति, चत्तारि दं० भा० त्ति तत्र प्रथमदण्डक उक्तालापकत्रयात्मको देवस्य देवस्य च, द्वितीयस्त्वेवंविध एव नवरं देवस्य च देव्याश्च, एवं तृतीयोऽपि नवरं देव्याश्च देवस्य च, चतुर्थोऽप्येवं नवरं देव्याश्च देव्याश्चेति, अत एवाह जाव महड्डिया वेमाणिणी अप्पड्डियाए वेमाणिणीए त्ति, मज्झम मित्यादि तु पूर्वोक्तानुसारेणाध्येयमिति // 508 // अनन्तरं देववक्तव्यतोक्ता,अथैकान्तदुः खितत्वेन तद्विपर्ययभूता नारका इति तद्गतवक्तव्यतामाह 10 रयणप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! केरिसियंपोग्गलपरिणामंपच्चणुब्भवमाणा विहरंति?, गोमया! अणिटुंजाव अमणाम एवं जाव अहेसत्तमापुढविनेर० एवं वेदणापरिणामं एवं जहा जीवाभिगमे बितिए नेरइयउद्देसए जाव अहेसत्तमापुढविनेर० णंभंते! केरि० परिग्गहसन्नापरिणामं पचणुब्भ० विह०?, गोयमा! अणिटुंजाव अमणामं / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 509 // 14-3 // 10 रयणे त्यादि, एवं वेयणापरिणामं ति पुद्गलपरिणामवद्वेदनापरिणामंप्रत्यनुभवन्ति नारकाः,तत्र चैवमभिलापः रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते! केरिसयं वेयणापरिणामं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति?, गोयमा! अणिटुंजाव अमणाम एवं जाव अहेसत्तमापुढविनेरइया 14 शतके उद्देशकः३ शरीराधिकारः। सूत्रम् 508 अल्पसमानर्द्धिदेवस्य महासमानचिदेव मध्येनगति प्रहारसामर्थ्यप्रश्नाः / सूत्रम् 509 नारकाणामनिष्टपुद्गलपरिणामानुभवनादिप्रश्नाः / // 1062 //
Loading... Page Navigation 1 ... 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574