Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
View full book text ________________ विशेषाव कोट्याचार्य वृत्तौ // 43 // -PHORORSCITERARE निर्देशमिच्छति ? को वा निर्देशकगर्भ ? को वोभयगर्भमिति ?, अत्रोच्यते निर्देशे नयदुविहंपि नेगमनओ निद्दिटुं संगहो य ववहारो / निद्देसयमुज्जुसुओ उभयसरिच्छं च सदस्स ।नि. 144 / | 21 विचार जं संववहारपरोणेगगमोणेगमो तओ दुविहं / इच्छइ संववहारो दुविहो जं दीसए पायं // 1514 // छज्जीवणियाज्यारोनिहिवसेण तह सुयं चण्णं तं चेव य जिणवयणं सव्वं निद्देसयवसेणं // 1515 // // 432 // जहवा निद्दिवसा वासवदत्ता-तरंगवइयाइं / तह निद्देसगवसओ लोए मणुरक्खवाउत्ति // 1516 // तह निद्दिद्ववसाओ नपुंसगं नेगमस्स सामइयं / थी पुंनपुंसगंवा तं चिय निद्देसयवसाओ॥१५१७।। जहवा घडाभिहाणं घडसद्दो देवदत्तसहोत्ति / उभयमविरुद्धमेवं सामइयं नेगमनयस्स // 1518 // अत्थाउच्चिय वयणं लहइ सरूवं जओ पईवोव्व / तो संगहववहारा भणंति निद्दिट्टवसगं तं // 1519 // अहवा निहित्थस्स पज्जओ चेव तं सधम्मव्व / तप्पच्चयकारणओ घडस्स रूवाइधम्मव्व // 1520 // वयणं विण्णाणफलं जइ तं भणिएवि नत्थि किं तेण? अण्णत्थ पच्चए वा सव्वत्थवि पच्चओ पत्तो॥१५२१॥ अभिधेयसंकरो वा जइ वत्तरि पच्चओऽणभिहिएवि / तम्हा निद्दिढवसा नपुंसगं ति सामइयं // 1522 // उज्जुसुओ निद्देसगवसेण सामाइयं विणिहिसइ / वयणं वन्तुरहीणं तप्पज्जाओ यतं जम्हा // 1523 // करणत्तणओमण इव सपज्जयाओ घ डाइरूवमिव / साहीणतणओविय सधणं व वओ वयंतस्स // 1524 // तह सुत्तदुरुत्ताओ तस्सेवाणुग्गहोवघायाओ। तस्स तयमिंदियंपिव इहरा अकयागमो होजा // 1525 // CALCRORESCOACTICE
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