Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha

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Page 451
________________ विशेषाव० कोट्याचार्य निर्गमे श्री. ऋषभदेववक्तव्यता वृत्ती // 447 // // 447 // NARENOLORSALEGALAN उग्गा भोग्गा राईण्ण खत्तिया संगहो भवे चउहा। आरक्खिगुरुवयंसा सेसा जे खत्तिया ते उ॥१६१९॥ आहारे सिप्पकम्मे य, मामणा य विभूसणा / लेहे गणिए य रूवे य, लक्खणे माण पोयए // 1620 // ववहारे णीइ दुढे(जुज्झे)य, ईसत्थे य उवासणा / तिगिच्छा अत्थसत्थे य, बंधे घाए य मारणा // 1321 / / जण्णूसवसमवाए, मंगले कोउए इय / वत्थे गंधे य मल्ले य, अलंकारे तहेव य // 1622 // चोलोवणविवाहे य, दत्तिया मडयपूयणा / झावणा थूभ सद्दे य, छेलावणय पुच्छणा // 1623 // आसीय कंदहारा मूलाहारा य पत्तहारा य / पुप्फफलभोइणोवि य, जइया किर कुलगरो उसभो / 1624 // आसीय इक्खुभोई इक्खागा तेण खत्तिया होति। सणसत्तरसं धणं आम ओमं च भुजीया // 1625 // ओमंडपाहारेता अजीरमाणंमि ते जिणमुर्वेति / हत्थेहिं घंसिऊणं आहारेहत्ति ते भणिया // 1626 // आसीय पाणिघंसी तिमिय तंदुलपवालपुडभोई / हत्थतलपुडाहारा जइया किल कुलगरो उसभो॥१६२७।। घंसेऊणं तिम्मणघंसण(तिम्मण)पवालपुडभोई / घंसणतिम्मपवाले हत्थउडे (कक्खसेए य)॥१६२८॥ (अगणिस्स य उट्ठाणं दुमघंसा दट्ट भीय परिकह)णं। पासेहिं परिच्छेनुं गेण्हह पागं च तो कुणह / 1629 // पक्खेव डहण ओसहिकहणं निग्गमण हत्थिसीसंमि / पयणारंभपवत्ती ताहे कासी य ते मणुया // 1630 // पंचेव य सिप्पाई घडलोहे चित्तएति (गंत) कासवए। एक्केक्कस्स य ए(त्तो वीसं वीसं भवे भेया)॥१६३१॥ कंमं किसिवाणिजादि मामणा जा परिग्गहे ममया / पुव्वं देवेहिं कया विभूसणा मंडणा गुरुणो // 1632 // ACRORSCORECACANC

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