Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
View full book text ________________ H CRORE भरतः वृत्ती // 456 // विशेषाव०४ वजंति वज्जभीरू बहुजीवसमाउलं जलारंभं। होउ मम परिमिएणं जलेण पहाणं च पियणं च // 1745 // कोव्याचार्य एवं सो रुइयमती नियगमतिविगप्पियं इमं लिंगं तद्धियहेउसुजुत्तं पारिव्वजं पवत्तेइ // 1746 // अहतं पागडरूवं दट्ठ पुच्छेइ बहुजणो धम्मं / कहयइ ताणं तो(जईणं तोसो वियालणे तस्स परिकहणा)॥१७४७॥5 // 45 // धम्मकहाअक्खित्ते उवट्टिए देह सामिणो सीसे / गामनगरागराई विहरइ सो सामिणा सद्धिं // 1748 // समुसरणभत्तउग्गह अंगुलिधयसक्कसावया अहिया। जेया वड्डइ कागणि लंछण अणुसज्जणा अट्ठ॥१७४९॥ राया आइचजसे महायसे अतिजसे य बलभद्दे / बलविरिय कत्तविरिए जलविरए दंडविरिए य // 1750 // एएहिं अड्डभरहं सयलं भुत्तं सिरेण धरिओ य / जिणसंतिओ य मउडो सेसेहिं न चाइओ वोढुं॥१७५१॥ अस्सावगपडिसेहो छट्टे छठे य मासि अणुओगो। कालेण य मिच्छत्तं जिणंतरे साहुवोच्छेओ॥१७५२॥ दाणं च माहणाणं वेदा कासीय पुव्व नेव्वाणं / कुंभा थूभा जिणघर कविलो भरहस्स दिक्खा य // 1753 // पुणरवि य समोसरणे पुच्छी य जिणं तु चक्किणोभरहो / अप्पुट्ठोय दसारे तित्थगरो को इहं भरहे? // 1754 // जिणचक्किदसाराणं वण्णपमाणाईनामगोत्ताई। आउपुरमाइ(पियरो परिया)य गतिं च साहीया॥१७५५॥ जारिसया लोगगुरू भरहे वासंमि केवली तुज्झे। एरिसया कइ अण्णे ताया होहिंति तित्थयरा ? // 1756 // अह भणइ जिणवरिंदोजारिसओनाणदसणेहिं अहं / एरिसया तेवीसा अण्णे होहिंति तित्थयरा // 1757 / / होहिति अजिओसंभव अभिनंदणसुमइसुप्पभसुपासो। ससिपुप्फदंतसीयल सेज्जंसो वासुपुज्जोय।१७५८॥ ARASHIOSAR शलाकापुरुषाः AAR
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