Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 473
________________ विशेषाव कोव्याचार्य भुभवः *523995 वृत्ती // 469 // थूणाऍ बहिं पूसो लक्षणमभितरे य देविंदो। रायगिहतंतुसाला मासक्खमणं च गोसालो // 1927 / / श्रीवीरविमंखलिमंखलुरुद्दा (सुभदा) सरवणगोषहुलमेव गोसालो। विजया नंदसुनंदे भोयणखज्जेय कामगुणे॥१९२८॥ कोल्लागबहुलपायस दिब्वा गोसाल दडुपवजा। बाहिं सुवनखलपायसथालि नियत्ति गहणं च॥१९२९॥ बभणगामे नंदोवणंद उवणंद तेय पव्वज्जे (चद्धे)। (चंपा दुमास) खमणेण वास(वासं मुणी) वसई // 1930 // कालाएँ सुन्नगारे सीहो विज्जुमइगोहिदासीए / (खंदो दंति) लियाए पत्तालग सुण्णगारंमि // 1931 // द॥४६९॥ मुणिचंदकुमाराए कुवणयचंपरमणिन्ज उचाओ (णे)। चोरा य चारियगडे सोमजयन्ती उवसमेइ // 1932 // (पिट्टीचंपावासं तत्थ चउमासिएण खमणेणं / कयंगल देउल वरसेइ दरिहथेरा य गोसाले // 1933 // सावत्थी सिरिभद्दानि पितिदत्त पयस सिवदत्ते।दारगणि णक्ख (वाला हलिह पडिमागणी पहिया)॥१९३४॥ (तत्तो य जंगलाए डिंभ) मुणी अच्छिकडणं चेव / आवत्ते मुहतासे मुणिउत्तिय बाहि बलदेवो॥१९३५॥ चोरा मण्डवभोज्जं गोसाले वहण तेय झामणया। मेहो य कालहत्थी कलंबुयाए य उवसग्गा // 1936 / / लाढेसु य उपसग्गा घोरा पुनकलसा य दो तेणा / वजहया सकेणं भदिय वासासु चउमासं // 1937 // / कयलिसमागम भोयण मंखलिदहिकूर भगवओपडिमा / जंबूसंडे गोट्ठीय भोयणे भगवओपडिमा॥१९३८॥ तंबाऍ नंदिसेणे पडिमा आरक्खि वहणभयडहणं कूवियचारियमोक्खण विजयपगम्भाय पत्तेयं // 1939 // तेणेहिं पहे गहिओ गोसालो माउलोति वाहणया। भगवं वेसालीए कम्मार घणेण देविंदो // 1940 // SCOLAASTAUSPICY % % *

Loading...

Page Navigation
1 ... 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504