Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
View full book text ________________ विशेषाव कोव्याचाये ॐ4 A प्रचौ // 470 // गामाय विभेलगजस्व तावसी उवसमावसाणथुई / (छटेण) सालिसीसे विसुद्धमाणस्स लोगोही // 1941 // श्रीवीरविपुणरवि भदियनगरे तवं विचित्तं च छट्ठवासंमि।मगहाऍ निरुवर्ग मुणि उउबद्धमि विहरित्या॥१९४२॥ समका आलभियाए वासं कंडाए देउले पराहुत्तो / महणदेउलसमुहं गोसालो दोसुवि मुणित्ति // 1953 // बहुसाल(गसालवणे कडपूयण पडिमविग्घणोवसमे।लोहग्गलंमिचारिय जियसच उप्पल्ले मोक्खो)॥१९४४॥8 // 47 // सोय पुरिमताले वग्गुर ईसाण अच्चए पडिमा। मल्लिजिणायतण वहिं (यणपडिमा) उण्णाए वंसि बहुगोट्ठी॥ गोभूमि वजलादत्ति गोव कोवे व वंसि जिणुवसमे।रायगिहहमवासा वजभूमीबहुवसग्गा)॥१९४क्षा अनिअयवासं सिद्धत्थपुरं तिलत्थंव गुच्छ निप्फत्ती। उप्पाडेइ अणलोगोसालो वासबहुलाए 492 // 1947 // मगहा गोबरगामे गोसंखी वेसियाण पाणामा / कुम्मग्गामातावण गोसाले कोवण (पउद्दे) // 1948 // वेसालीए पडिमंडिंभ मुणिउत्ति तत्थ गणराया। पूएइ संखनामो चित्तो नावाइ भगिणिसुओ॥१९४९-५०॥ वाणियगामायावण आणंदो ओहि परिसहसहित्ति / सावत्थीए वासं चित्त तओ साणुलट्ठि वहिं॥१९५१॥ पडिमा भद्दमहाभहसव्वओभह पदमिया चउरो। अट्ठयवीसाणंदे बहुलिय तह उझि दिय दिव्वा // 1952 // दहभूमी बहुमेच्छा पेढालग्गाममागओ भगवं / पोलासचेइयंमि ट्ठिएगराई महापडिमं // 1953 // सफोयदेवराया सभागओभणइहरिसिओवयणं। तिन्निवि लोग समत्था जिणवीरमण न चालेउं // 1954 // सोहम्मकप्पवासी देवो सक्कस्स सो अमरिसेणं / सामाणियसंगमओवेति सुरिन्दं पडिनिविट्ठो॥१९५५॥ A मिरिसेणं / सामाजलग समत्था जिलाडम // 1953 // " %
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