Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha

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Page 461
________________ विशेषाव० कोव्याचार्य वृत्ती शलाकापुरुषाः // 457 // // 457 // FROEACUAS* विमलमणतइधम्मो संती कुंथू अरोय मल्ली य। मुणिसुब्बयनभिनेमी पामोतह वद्धमाणो य॥१७५९॥ अह भणति नरवरिंदो भरहे वासंमि जारिसो उ अहं। तारिसया कइ अण्णे ताया। होहिंतिरायाणो॥१७६०॥ अह भणइ जिणवरिंदो जारिसओतं नरिंदसदलो। तारिसया एक्कारस अण्णे होहिंति रायाणो // 1761 // भरहो सगरो मघवं सणंकुमारो य रायसवूलो। संती कुंथू य अरो हवइ सुभूमोय कोरब्वो // 1762 / / नवमो य महापउमो हरिसेणे चेव रायसले / जयनामो य नरवती बारसमे बंभदत्ते य // 1763 // बलदेव वासुदेवा नव अण्णे नीलपीयकोसेजा। हलमुसलचक्कजोही सतालगरुडझया दो दो॥१७६४॥ तिवढ्य दुविठ्ठय सयंभुपुरिसोत्तमो पुरिससीहो। तह पुरिसपोंडरीए दत्ते नारायणे कण्हे // 1765 // अयले विजए भद्दे, सुप्पमे य सुदंसणे / आणंदे नंदणे पउमे, रामे यावि अपच्छिमे // 1766 // आसग्गीवे तारए मेरए महुकेढवे निसुंभे य / बलि पहराए तह रामणे य नवमे जरासंधे // 1767 // एए खलु पडिसतू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / सव्वेवि चक्कजोही सब्वेविहया सचक्केहिं // 1768 // उममे भरहो अजिते सगरो मघवं सणंकुमारो य / धम्मस्स य संतिस्स य जिणंतरे चक्कवहिदुगं॥१७६९॥ संती कुंथू य अरो अरहंता चेव चक्कवही य / अरमल्लिअंतरंमि य हवइ सुभूमो य कोरव्यो॥१७७०॥ मुणिसुव्वये नमिमि यहोति दुवे पउमनामहरिसेणा। नमिनेमिसु जयनामा नेमीपासंतरे बंभो // 1771 // पंचसयअद्धपंचम वायाला चेव अधणुगं च / चत्ता दिवढघणुगं च चउत्थे पंचमे चत्ता // 1772 / /

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