Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha

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Page 468
________________ विशेषाव कोव्याचार्य श्रीवीरविमुभव: // 464 // // 464 // आभरणरयणवासं वुडं तित्थंकरम्मि जायम्मि / सको व देवराया उवागओ आगया निहओ॥१८५७।। तुट्ठाओ देवीओ देवा आणन्दिया सपरिसागा। भगवम्मि बद्धमाणे तेलोकसुहावह जाए // 1858 // भवणवइवाणमन्तरजोइसवासी विमाणवासी य / सब्बिडीय सपरिसा चउव्विहा आगया देवा // 1859 // देवेहिं संपरिखुडो देविंदो गेण्हिऊण तित्थयरं / नेऊण मंदरगिरि अभिसेयं तत्थ कासी य॥१८६०॥ काऊण य अभिसेयं देविंदो देवदाणवेहिं समं / जणणीय अप्पिणित्ता जम्मणमहिमंच कासीय // 1861 // खोमं कुण्डलजुयलं सिरिदामं देह चेव सको से / मणिकणगरयणवासं उवच्छुभे जंभगा देवा // 1862 // वेसमणवयणसंचोइया उते तिरियजम्मगा देवा। कोडिग्गसो हिरण्णं (र)यणाणि य तत्थ उवणिन्ति // 1863 // (अह) वडाइ सो भगवं दियलोयचुओ अणोवमसिरीओ। दासीदासपरिवुडो परिकिन्नोपीढमद्देहिं // 1864 // असियसिरओ सुनयणो बिंबुट्ठो धवलदंतपंतीओ। वरपम्हपउमगोरो फुल्लुप्पलगंधनीसासो // 1865 // जातीसरो य भगवं अप्परिवडिएहिं तिहि उ नाणेहिं / कंतीय य बुद्धीय य अन्भहिओ तेहिं मणुएहिं // 1866 // अह ऊणअट्ठवासस्स भगवओसुरवराण मज्झम्मि / संतगुणकि (णुछि)त्तणयं करेइ सकोसुहम्माए // 1867 // बालो अबालभावो अबालपरकमो महावीरोन हु (सका मेसेउं अमरेहिं सईदएहिंपि // 1868 // ) (तं वयणं सोऊणं अह एगु सुरो असहहन्तो उ / एइ जिणसंनिगासं तुरियं (सो मेसणहाए // 1869 // (सप्पं बताकवरम्मिं काउं तेन्दूसरण डिंभं च / पिट्टी मुट्ठीय हओ वंदिय वीरं पडिनियत्तो // 1870 // SASHAINEERIES

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