Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha

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Page 465
________________ विंशतिस्थानकस्वरूपं // 461 // विशेषावा चुलसीतिमप्पतिढे सीहो नरएसु तिरियमणुएसु / पियमित्तचक्कवट्टी मूयविदेहाई चुलसीते // 1815 // कोव्वाचाये पुत्तो [य] घणंजयस्सा णेहिल परियाउ कोडि सव्व?। गंदण छत्तागाए पणुवीसाउं सयसहस्सा // 1816 // वृत्ती पव्वजा पोहिले सयसहस्स सम्वत्थ मासभत्तेणं / पुप्फुत्तरि उववण्णो ततो चुओ माहणकुलंमि // 1817 // अरहंतसिद्धपवयणगुरुथेरबहुस्सुए तवस्सीसु / वच्छल्लया य तेसिं अभिक्खणाणोवयोगे य // 1818 // // 46 // दसणविणए आवस्सए य सीलव्वये निरइयारो / खणलवतवच्चियाए वेयावच्चे समाही य // 1819 // अप्पुव्वनाणगहणे सुयभत्तीपवयणे पभावणया। एएहिं कारणेहिं तित्थयरत्तं लहइ जीवो॥१८२०॥ पुरिमेण गा. अरहन्ता सत्यारो सिद्धा नियसव्वकम्मरया। पवयणमिह सुयनाणं संघो य जओ तयाघारो॥१८२२॥ धम्मोवदेसदिक्खावओवदेसविसवायगा गुरवो / एत्थेव उवज्झाओ गहिओ सुयवायणायरिओ॥१८२३॥ जाईसुयपरियाए थेरो जाईऍ सहिवरिसोउ। सुयतो समवायधरो वीसतिवरिसोय परियाए // 1824 // जस्स सुयं बहुतरयं जत्तो स बहुस्सुओ तहत्थेवि / सुत्तधरा अत्यघरो अत्यधराओ तदुभयण्णू // 1825 // स तवस्सी जस्स तवोऽणसणादिविसेसओविचित्तोवा। जोजह विसेसिओवा अतीव अविसेसियो सब्यो॥१८२६।। एएसु जोऽणुरागो सन्तगुणुवित्तणा पमोदोय ।जो जस्स य उवयारो जोगो सोहोति वच्छलया // 1827 // सज्झायव्वावारोऽभिक्खणमह दंसणं च सम्मत्तं / दसणनाणचरित्तोवयारमेदो य विणयो उ // 1828 // आवस्सयाई संजमवावारा जे अवस्सकरणिज्जा / सीलाई उत्तरगुणा मूलगुणा छब्बयाई तु॥१८२९॥ 25ARSA

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