Book Title: Visheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Author(s): Jinbhadra Gani Kshamashraman
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
View full book text ________________ विशेषाव कोट्याचाये है वृत्ती // 452 // HAROSARSHASSANSASRSS एक्कारस उ गणहरा (जिणस्स वीरस्स) सेसयाणं तु। जावतिया जस्स गणा तावइया गणहरा तस्स // 1689 // सर्वजिनाना घम्मोवायो पवयणमहवा पुब्वाई देसया तस्स / सव्वजिणाणं गणहर चोद्दसपुव्वी य जे जस्स // 1690 // | संबोधनादि सामाइयाइया वा वयजीवनिकाय भावणा पढमं / एसो धम्मोवाओ जिणेहिं सब्वेहिं उपइहो // 1691 // उसभस्स पुवलक्खं पुव्वंगुणमजियस्स तं चेव / चउरंगूणं लक्ख पुणो पुणो जाव सुविहित्ति // 1692 / / // 452 // पणवीसं तु सहस्सा पुव्वाणं सीयलस्स परियाओ। लक्खाई एगवीसं सिज्जंसजिणस्स वासाणं // 1693 // चउपन्नं पन्नारस तत्तो अद्धहमाई लक्खाई / अड्डाइज्जाइँ ततो वाससहस्साइं पणुवीसं // 1694 // तेवीसं च सहस्सा सयाणि अट्ठमाणि य हवंति / इगवीसं च सहस्सा वाससऊणा व पणपन्नं // 1695 / / अट्ठमा सहस्सा अड्डाइज्जा य सत्त य सयाई / सत्तरी बिचत्त वासा दिक्खा (कालो जिणिंदाणं)॥१६९६॥ छउमत्थकालमेत्तो सोहेउं सेसओ उ जिणकालो / सव्वाउयपि एत्तो उसभादीणं निसामेह / / 1697 / / चउरासीति बिसत्तरि सट्ठी पन्नासमेव लक्खाई / चत्ता तीसा वीसा दस दो एगं च पुवाणं // 1698 // चउरासीती बावत्तरी य सट्ठी य हांति वासाणं / तीसा य दस य एगं च एवमेते सयसहस्सा // 1699 / / पंचणउती सहस्सा चउरासीती य पंचपण्णा य / तीसा य दस य एगं सयं च बावत्तरि चेव // 1700 // नेव्वाणमंतकिरिया सा चोइसमेणं पढणनाहस्स / सेसाण मासिएणं वीरजिणिंदस्स छ?णं // 1701|| अट्ठावयचंपोज्जितपावासंमेयसेलसिहरेसु / उसभवसुपुज्जनेमी वीरो सेसा य सिद्धिगया // 1702 // AREAK
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