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• सन् 1947 में एक डच आदमी ने स्वप्न में 3684 नम्बर देखे। उसने नम्बर
याद करके उस नम्बर की लाटरी खरीदी। उस लाटरी का प्रथम पुरस्कार उसे
मिल गया। गांधी जी की हत्या से पूर्व बिजनौर शहर में एक 11 वर्षीय लड़की सुधा ने 27 जनवरी को स्वप्न में देखा कि गांधी को किसी ने प्रार्थना के समय गोली मार दी है। यह बात जब उसने अपने माता-पिता को बताई तो उन्होंने उसे डांट दिया। तीन दिन बाद 30 जनवरी 1948 संध्या को रेडियो से लोगों ने महात्मा गांधी की हत्या का समाचार सुन लिया। इसी प्रकार लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु का अहसास भी स्वप्न में एक सोवियत छात्रा को हो गया था।
अनेक वैज्ञानिक अनुसंधान भी स्वप्नों के आधार पर किए गए। परमाणु की संरचना को नील्स बोहर ने स्वप्न में आए प्रतीक के माध्यम से खोजा। नील्स बोहर ने स्वप्न में देखा कि वह सूरज के बीचोबीच उबलती गैसों के गर्भ में खड़ा है। सूरज के चारों ओर अंतरिक्ष के अनेक ग्रह चक्कर लगा रहे हैं। वे महीन तंतु से सूरज के साथ जुड़े हुए हैं। नील्स के देखते ही देखते गैसों का जलना शान्त हो गया और उन्होंने ठोस रूप ग्रहण कर लिया। सूरज और ग्रह टूटकर बिखर गए और नील्स आंखें मलता हुआ बिस्तर से उठकर बैठ गया। नील्स इस सपने के बारे में सोचता रहा और उसके दिमाग में एक विकल्प उठा कि सौर मंडल का यह दर्शन परमाणु रचना का भेद होना चाहिए। उसने यह खोज प्रस्तुत कर दी कि परमाणु स्वयं एक केन्द्र अथवा न्यूक्लियस है। उसके चारों ओर विद्युत्कण अर्थात् इलेक्ट्रान चक्कर लगा रहे हैं। स्वप्न के आधार पर उसने परमाणु की संरचना का सिद्धान्त खोज निकाला।
स्वप्नों के माध्यम से दैवी संकेतों का मिलना भी एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है। ईसा से 200 वर्ष पूर्व ग्रीस देवता तथा अन्य भूमध्यीय सागर के स्थानों में लोग चिकित्सा के एस्कूलैपियस को स्वप्न प्रणेता के रूप में पूजते थे। इजिप्ट में आज भी भूत पिशाचों को भगाने या समाप्त करने के लिए स्वप्नों के द्वारा संकेत प्राप्त किए जाते हैं। इजिप्ट में अनेक ऐसे मंदिर थे, जहां स्वप्न के माध्यम से पादरी द्वारा लोग दुःखों से छुटकारा पाने के लिए आते थे। पादरी को 'मास्टर ऑफ द सिक्रेट थिंग्स' के नाम से पुकारा जाता था।
भविष्य सूचक स्वप्नों की प्रामाणिकता से प्रभावित होकर इंग्लैण्ड के विद्वानों और वैज्ञानिकों ने एक संस्था खोली- 'सोसायटी फार साइकिकल रिसर्च सेंटर' (मनोवैज्ञानिक गवेषणा समाज) इस संस्था ने अनेक ऐसे भविष्य सूचक स्वप्नों का संकलन करके उन्हें प्रयोग की कसौटी पर कसा है।
तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2006
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