Book Title: Tulsi Prajna 2006 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 79
________________ से निर्मित्त होती है। इन गुणसूत्रों पर जीन स्थित होते हैं। कोशिका के केन्द्रक के चारों और एक जीव-द्रव्य होता है जिसे प्रोटोप्लाजमा कहते हैं । नर के शुक्राणु (Sperm Cell) तथा मादा के अण्डाणु (Egg Cell) भी परिपक्व कोशिकाएं होती हैं, इनमें द्विगुणन द्वारा वृद्धि नहीं होती । स्तनधारी पशुओं में लैंगिक (Sexual) प्रजनन होता है । इस प्रक्रिया में शुक्राणु, अण्डाणु के साथ मिलकर (Fu sion) एक नई कोशिका का निर्माण होता है। इस नई कोशिका में द्विगुणन (Copying) करने की क्षमता होती है जिससे वह भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है । इस कोशिका के केन्द्र में गुणसूत्रों की संख्या तो 46 होती हैं, लेकिन इनमें से आधे गुणसूत्र नर के तथा शेष मादा के होते हैं। इसके विपरीत क्लोनिंग द्वारा उत्पन्न नई कोशिका में सारे के सारे गुण सूत्र किसी एक ही के होते हैं । स्तनधारी पशुओं में क्लोन पैदा करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार से है इसके लिए सर्वप्रथम मादा के एक स्वस्थ अण्डाणु (Egg Cell) को काम में लिया जाता है । इस अण्डाणु (Egg Cell) में से विशेष तकनीक द्वारा केन्द्रक (Nucleus) को अलग कर दिया जाता है तथा उस केन्द्रक - विहीन कोशिका (Protoplasma) को एक सुरक्षित स्थान पर कल्चर मीडियम में डूबोकर रख दिया जाता है। अब हमें जिस प्रकार के जीव का क्लोन तैयार करना है ( उस प्रकार के डोरन पेटेन्ट) त्वचा में से कोशिका (Cell) अलग कर दी जाती है। इस कोशिका के केन्द्रक (Nucleus) को बड़ी सावधानीपूर्वक अलग कर दिया जाता है। इस केन्द्रक को पूर्व में सुरक्षित की गई केन्द्रक-विहीन कोशिका (Protoplasma) में प्रतिस्थापित (Trandplant ) कर दिया जाता है। इस प्रकार एक नई कोशिका पैदा हो जाती है जिसका केन्द्रक डोनर पेटेन्ट की कोशिका का केन्द्रक होता है । इस प्रकार नई कोशिका में गुणसूत्र वे ही होते हैं जो कि डोनर पेरेन्ट (Doner Parent) के होते हैं । यही नई कोशिका द्विगुणन (Copying) द्वारा भ्रूण में परिवर्तित हो जाती है। इस भ्रूण को किसी भी मादा के गर्भाशय में स्थित कर दिया जाता है जहां वह सामान्य रूप से विकसित होने लगता है। इस प्रकार जो नवजात पैदा होता है उसमें गुणसूत्र वे ही होते हैं जो कि डोनर पेरेन्ट के होते हैं, अतः उसकी शक्ल सूरत हू-ब-हू डोनर पेरेन्ट (Doner Parent) जैसी ही होती है यानि कि वह डोनर पेटेन्ट (Doner Parent) की कार्बन कॉपी की होती है। इस प्रकार हम जिसका प्रतिरूप (कॉपी-क्लोन) तैयार करना चाहते हैं उसका केन्द्रक मादा के केन्द्रक - विहीन (Protoplasma) अण्डाणु में प्रतिस्थापित करना होगा । यदि हम नर का क्लोन तैयार करना चाहते हैं तो उसकी कोशिका (Cell) का केन्द्रक और यदि मादा का क्लोन तैयार तुलसी प्रज्ञा अंक 130 74 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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