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2. जिसमें पुतलियों की स्थिति स्थिर रहती है (नान रैपिड आई. मुवमेंट- एन. आर. ई. एम.) एन. आर. ई. एम. निद्रा में मस्तिष्क की बायोइलेक्ट्रिक क्रियाशीलता धीमी और एक रूप होती है। इसमें श्वसन की गति मंद तथा मांसपेशियों का तनाव कम होता है, आंखों की पुतलियां गतिहीन होती हैं। इस नींद में शरीर विश्राम की स्थिति में रहता है। यदि यह नींद पूरी रात न आए तो व्यक्ति को ताजगी का अनुभव नहीं होता। आर. ई. एम. निद्रा दिन की विभिन्न स्थितियों से सात्म्य करने का प्रयत्न करती है। ऐसी सूचनाओं को ग्रहण करने का अवसर देती है, जिन्हें स्वीकार करने को व्यक्ति का मानस तैयार नहीं होता। इस नींद से जगने के बाद व्यक्ति सपने का स्मरण कर उसे सविस्तार सुना सकता है। एन. आर. ई. एम. निद्रा में जगने के बाद सपने याद नहीं रहते। विशिष्ट व्यक्तियों के विशेष स्वप्न
विशेष व्यक्तियों के द्वारा देखे गए स्वप्नों का फल भी विशिष्ट होता है। तथागत बुद्ध जब बोधिसत्त्व थे, तब उन्होंने पांच विशिष्ट स्वप्न देखे थे- 1. महापर्यंक, 2. तिरिया नामक वृक्ष, 3. श्वेत कीट, 4. चार रंग बिरंगे पक्षी, 5. गोमय पर्वत पर अस्खलित चलना।” यहां कुछ ऐतिहासिक एवं प्रागैतिहासिक व्यक्तित्वों के स्वप्न एवं उनका फल प्रस्तुत किया जा रहा हैसम्राट भरत के 16 स्वप्न 1. पहाड़ पर चढ़ते हुए 23 सिंह, जिसका तात्पर्य था कि 23 तीर्थंकर तक साधु धर्म में
दृढ रहेंगे। उसके बाद उनकी केवल गूंज सुनाई देगी। 2. एक सिंह के पीछे अनेक हिरणों का अनुसरण- यह स्वप्न इस बात का द्योतक है
कि चौबीसवें तीर्थंकर के पीछे उनके साधु हिरण की तरह होंगे, जिनमें पौरुष कम
होगा वे केवल पदचिह्नों का अनुसरण करेंगे। पालन क्षमता धीरे-धीरे घटती जाएगी। 3. एक अश्व जो भार से दबा जा रहा था, जिसका तात्पर्य था कि पंचम आरे के मुनि
शक्ति और सत्ता के प्रभाव से दबते चले जाएंगे। 4. बकरियों के समूह द्वारा सूखी पत्तियां खाना, जिसका अर्थ था अतिवृष्टि-अनादृष्टि
के कारण पशु अभक्ष्य खाएंगे तथा वे बकरी की भांति दुर्बल होंगे। 5. हाथी की पीठ पर बंदर को देखा, जिसका फल था सत्ता निम्न वर्ग के लोगों के पास
चली जाएगी। क्षत्रिय कमजोर हो जाएंगे। 6. अनेक कौओं द्वारा हंस को सताना जिसका तात्पर्य था जैन संतों पर विरोधी लोग झूठे
आक्षेप लगाएंगे एवं उन्हें कष्ट देंगे।
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तुलसी प्रज्ञा अंक 130
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