________________
१४. माहेन्द्र स्वर्ग का देव त्रस-स्थावर योनियों में असंख्य वर्षों तक परिभ्रमण
१५. स्थावर ब्राह्मण
१६. माहेन्द्र स्वर्ग का देव
१७. विश्वनन्दि
१८. महाशुक्र स्वर्ग का देव
१९. त्रिपुष्ठनारायण
२०. सातवें नरक का नारकी २१. सिंह
२२. प्रथम नरक का नारकी
२३. सिंह
२४. प्रथम स्वर्ग का देव
२५. कनकोज्ज्वल राजा
२६. लांतक स्वर्ग का देव
२७. हरिषेण राजा
२८. महाशुक्र स्वर्ग का देव
२९. प्रियमित्र चक्रवर्ती
३०. सहस्त्रार स्वर्ग का देव
३१. नंदराजा
१४. स्थावर ब्राह्मण
Jain Education International 2010_03
२९
१५. ब्रह्मकल्प का देव
१६. विश्वभूति
१७. महाशुक्र का देव
१८. त्रिपृष्ठनारायण
१९. सातवां नरक
२०. सिंह
२१. चतुर्थ नरक
२२. प्रियमित्र चक्रवर्ती
२३. महाशुक्र कल्प का देव
२४. नन्दन
२५. प्राणत देवलोक में देव
२६. देवानंदा के गर्भ में
२७. त्रिशला की कुक्षि से भगवान् महावीर
३२. अच्युत स्वर्ग का देव और
३३. भगवान् महावीर
दोनों परम्पराओं ने चूंकि महावीर के प्रमुख भवों का ही उल्लेख किया है अतः यह कोई मतभेद का विषय नहीं है। इन भवों पर दृष्टिपात करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह जीव कभी धर्म धारण करने पर सौधर्म स्वर्ग के सुखों को भोगता है तो कभी कुमार्गगामी होकर सप्तम नरक के भी दारुण दुःखों को भोगता है। दिगम्बर परम्परा की दृष्टि से महावीर का जीव संसरण करता हुआ अपनी सिंह पर्याय में अजितंजय
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org