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36 : तत्त्वार्थसूत्र : जीव-तत्त्व
वेद व लिंग
• नारकसम्मूर्छिनो नपुंसकानि ।। ५० ।। . • न देवा: ।। ५१।।
नारक और सम्मूर्छिन् नपुंसक ही होते हैं। देव (नपुंसक) नहीं होते हैं।
(५०-५१)
आयुष • औपपातिकचरमदेहोत्तमपुरुषाऽसंख्येयवर्षायुषोऽनपवायुष: ।।५२।।
औपपातिक (नारक और देव), चरमशरीरी, उत्तमपुरुष और
असंख्यातवर्षजीवी - ये सब अनपवर्तनीय-आयु ( जिस आयु में अकाल मृत्यु की सम्भावना न हो)। वाले होते हैं। (५२)
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