________________
66 : तत्त्वार्थ सूत्र : ऊर्ध्व लोक
• दशवर्षसहस्राणि प्रथमायाम् ।। ४४ । ।
I
पहली नर्क-भूमि के नारकों की जधन्य आयु-स्थित दस हजार वर्ष है • इस नियम के अनुसार नारकों की जधन्य निम्नानुसार है :
आयु-सिंति
पहली नर्क - भूमि में दस हजार वर्ष, दूसरी नर्क- भूमि में एक सागरोपम, तीसरी नर्क-भूमि में तीन सागरोपम, चौथी नर्क - भूमि में सात सागरोपम, पाँचवीं नर्क - भूमि में दस सागरोपम, छठी नर्क - भूमि में सत्रह सागरोपम,
सातवीं नर्क-भूमि में बावीस सागरोपम, (४३-४४)
·
•
·
•
• भवनेषु च । ४५ ।।
दस भवन-स्वर्गों में भी ( भवनवासी देवों की हजार वर्ष है) । (४५)
व्यन्तर व ज्योतिष्क देवों की स्थिति
व्यन्तराणाम् च । । ४६ । ।
परा पल्योपमम् ( ( ४७८८
व्यन्तर देवों की भी ( जधन्य आयु-स्थिति दस हजार वर्ष है) । (उनकी) उत्कृष्ट आयु-स्थिति एक पल्योपम है । (४६-४७ )
• ज्योतिष्काणामधिकम् ।। ४८ । ।
• ग्रहाणामेकम् ।। ४९८
नक्षत्राणामर्धम् ।।५०।।
जधन्य आयु- स्थिति दस
ज्योतिष्क देवों (सूर्य और चन्द्र) की उत्कृष्ट आयु-स्थिति (एक पल्योपम से) कुछ अधिक है ।
ग्रहों की ( उत्कृष्ट आयु-स्थिति) एक पल्योपम है ।
नक्षत्रों की (उत्कृष्ट आयु-स्थिति) अर्ध पत्योपम है। (४८-५०%
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org