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तत्त्वार्थ सूत्र
अध्याय-१०
मोक्ष-तत्त्व
र छले नौ अध्यायों में जीव, अजीव, आसव, बन्ध, संवर, व । निर्जरा तत्त्वों का वर्णन करने के पश्चात् अब शास्त्रकार इस अन्तिम अध्याय में अन्तिम - मोक्ष-तत्त्व का निरूपण करते हैं।
कैवल्य-हेतु - • मोहक्षयाज्ज्ञानदर्शनावरणान्तरायक्षयाच्च केवलम् ।।१।।
मोहनीय, ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय व अन्तराय कर्मों के क्षय से
कैवल्य प्रकट होता है । (१)
आत्यंतिक निर्जरा व मोक्ष - • बन्धहेत्वभावनिर्जराभ्याम् ।।२।। • कृत्सनकर्मक्षयो मोक्ष: ।।३।। बन्ध-हेतुओं (आस्रव) के अभाव व निर्जरा से कर्मों का आत्यन्तिक
क्षय होता है।
कर्मों
का
आत्यन्तिक
क्षय
ही
मोक्ष
है।
(२-३)
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