Book Title: Tattvartha sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, D S Baya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 209
________________ 162 : तत्त्वार्थ सूत्र : मोक्ष-तत्त्व • औपशमिकादिभव्यत्वाभावाच्चान्यत्र केवलसम्यक्तवज्ञानदर्शन सिद्धत्वेभ्यः ।।४।। क्षायिकसम्यक्च, क्षायिकज्ञान, क्षायिकदर्शन ओर सिदत्य के कारण तथा ओपमिकादि भावों व भव्यत्व के अभाव मे मोक्ष हो। है। मोक्षानन्तर - • तदनन्तरमूवं गच्छत्या लोकान्तात् ।। ५ ।। उसके (माक्ष के) बाद (आत्मा) लोकान्त तक ऊँचा जाता है। (५) • पूर्वप्रयोगादसे गत्वाद्बन्धच्छेदात्तथागतिपरिणामाच्च तद्गति: ।। ६।। मुक्त आत्मा की लोकान्त तक सिध्यमान ऊर्ध्वगति के कारण हैं - पूर्वप्रयोग (प्राप्त आवेश) से, असंगत्व - संग के अभाव - से, वाच्छेद से तथा स्वाभाविक वैसी गति के परिणाम स्वरूप। (६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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