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112 : तत्त्वार्थ सूत्र : व्रत और भावनाएं
सम्यग्दर्शन के अतिचार - .. शंकाकांक्षाविचिकित्साऽन्यदृष्टिप्रशंसासंस्तवा: सम्यग्दृष्टेर
तिचारा: ।।१८।। सम्यग्दर्शन के पाँच अतिचार हैं - शंका, कांक्षा, विचिकित्सा,
अन्यदृष्टिप्रशंसा व अन्यदृष्टिसंस्तव । (१८)
व्रतों के अतिचार - • व्रतशीलेषु पंच पंच यथाक्रमम् ।।१९।। अणुव्रतों और शीलों के पाँच पाँच अतिचार (पूर्वोक्त) क्रम से इस
प्रकार हैं - (१६)
१. अहिंसाव्रत - • बन्धवधछविच्छेदाऽतिभारारोपणाऽन्नपाननिरोधा: ।।२०।। (प्रथम अहिंसा अणुव्रत के पाँच अतिचार हैं) - बन्ध, वध
क्षत-विक्षत करना, अतिभारारोपण व अन्न-पान का निरोध या दाना-पानी न देना। (२०)
२. सत्यव्रत - • मिटयोपदेशरहस्याभ्याख्यानकूटलेखक्रियान्यासापहारसाकार मन्त्रभेदा: ।।२१।।
(दूसरे सत्याणुव्रत के पाँच अतिचार हैं) - मिथ्या-उपदेश, किसी का
रहस्योद्घाटन, जाली दस्तावेज बनाना, अमानत में खयानत करना तथा गुप्त मन्त्रणा को प्रकट कर देना । (२१)
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