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120 : तत्त्वार्थ सूत्र : व्रत और भावनाएँ
संलेखनाव्रत -
• जैवितमरणाशंसामित्रानुरागसु खानुबन्धनिदानकरणानि ।। ३२।।
अन्तिम मारणान्तिक संलेखनाव्रत के पाँच अतिचार हैं जीविताशंसा, मरणाशंसा, मित्रानुराग, सुखानुबन्ध तथा निदानकरण । (३२)
दान
अनुग्रहार्थं स्वस्यातिसर्गो दानम् ।।३३।।
अनुग्रह करने के लिये अपनी वस्तु का त्याग करना दान
• विधिद्रव्यदातृपात्रविशेषात्तद्विशेषः ।। ३४ ।
विधि, देय-वस्तु, दाता और ग्राहक की विशेषता से दान की विशेषता है । (३४)
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है । (३३)
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