________________
अध्याय-६
संवर व निर्जरा
आ
नव व बन्ध तत्वों के निरूपण के पश्चात अब इस अध्याय में उनके निराकरण रूप संवर व निर्जरा तत्त्वों का निरूपण किया जा रहा है ।
संवर
• आस्रवनिरोधः संवरः । । १ । ।
आम्रव का निरोध ही संवर है । ( 9 )
तत्त्वार्थ सूत्र
संवर के उपाय
सगुप्ति समितिधर्मानुप्रेक्षापरीषहजयचारित्रै: ।।२।।
वह संवर गुप्ति, समिति, धर्मानुप्रेक्षा, परीषहजय व चारित्र के द्वारा
होता है । (२)
•
तपसा निर्जरा च ।। ३।।
तप से ( संवर के साथ) निर्जरा भी होती है । (३)
गुप्ति
• सम्यग्योगनिग्रहो गुप्तिः । । ४ । ।
योगों (मन, वचन व काया) का भली प्रकार निग्रह करना, उन्हें मर्यादित रखना ही गुप्ति है । ( ४ )
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org