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तत्त्वार्थ सूत्र
अध्याय-५
अजीव-तत्त्व
ट सरे से चौथे अध्यायों में जीव-तत्त्व का विषद् वर्णन करने के टपश्चात् शास्त्रकार इस अध्याय में अजीव-तत्त्व का वर्णन करते
अजीव-द्रव्य -. • अजीवकाया धर्माधर्माकाशपुद्गला: ।।१।। धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय और पुद्गलास्तिकाय ये
चार अजीवकाय हैं। (१)
मूल-द्रव्य - द्रव्याणि जीवाश्च ।।२।। 'ये चार' तथा 'जीव' द्रव्य हैं। (२) • नित्यावस्थितान्यरूपाणि ।।३।। • रूपिण: पुद्गला: ।।४।। उक्त द्रव्य नित्य, अवस्थित एवं अरूपी अर्थात् अमूर्त हैं। पुद्गल द्रव्य
रूपी या मूर्त है । (३-४)
• आऽऽकाशदेकद्रव्याणि ।।५।। • निष्क्रियाणि च ।।६।। आकाशास्तिकाय तक के द्रव्य (धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय व
आकाशास्तिकाय) एक एक हैं। (ये द्रव्य) निष्क्रिय भी हैं। (३-६)
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