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100: तत्त्वार्थ सूत्र : आस्रव तत्त्व
८. अन्तराय कर्मानव के हेतु -
विघ्नकरणमन्तरायस्य ॥ २६ ॥ ॥
( शुभ कार्यों में) विघ्न डालना अन्तराय - कर्म के बन्ध का कारण है। (२६)
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