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96 : तत्त्वार्थ सूत्र : आम्रव तत्त्व
• मायातैर्यग्योनस्य ।।१७।।
• अल्पारम्भपरिग्रहत्वं स्वभावमार्दवार्जवं च मानुषस्य । । १८
निः शीलव्रतत्वं च सर्वेषाम् ।। १९ । ।
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माया तिर्यंच- आयुष्य के बन्ध की कारण (आनव) है। अल्पारम्भ, अल्प-परिग्रह, स्वभाव की मृदुता व ऋजुता ये मनुष्य- आयु बन्ध के कारण हैं । उपरोक्त के अतिरिक्त शील व व्रत हीनता सभी आयुष्यों के बन्ध की हेतु (आस्रव) हैं । ( १६ - १६)
• सरागसंयमसंयमासंयमाकामनिर्जराबालतपांसि देवस्य ।।२०।।
सराग-संयम, संयमासंयम, अकाम-निर्जरा व बाल-तप ये देव- आयुष्य के बन्ध के हेतु (आस्रव) हैं । (२०)
६. नाम कर्मास्रव के हेतु
• योगवक्रता विसंवादनं चाशुभस्य नाम्नः ।। २१ । ।
• विपरीतं शुभस्य ।।२२८८
नाम-कर्म
योगों की कुटिलता व विसंवाद या अन्यथा प्रवृत्ति अशुभ के बन्ध हेतु (आनव) हैं । इनके विपरीत अर्थात योगों की सरलता व अविसंवाद शुभ नाम-कर्म के बन्ध हेतु (आस्रव) हैं ।
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