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78 : तत्त्वार्थ सूत्र : अजीव तत्त्व
जीव के कार्य - • परस्परोपगृहो जीवानाम् ।। २१ । । जीवों का कार्य परस्पर उपकार करना है। (२१) काल के कार्य - • वर्तना परिणाम: क्रिया परत्वापरत्वे च कालस्य ।। २२।। वर्तना, परिणाम, , कार्य, और परत्व-अपरत्व ये काल के कार्य
(उपकार) हैं। (२२) पुद्गल के पर्याय - • स्पर्शरसगन्धवर्णवन्तः पुद्गला: ।।२३।। • शब्दबन्धसौक्ष्म्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायाऽऽतपोद् द्योतवन्तश्च
।।२४।। पुद्गल सपर्श, रस, गन्ध, तथा वर्ण वाले होते हैं। (वे) शब्द, बन्ध,
सूक्ष्मत्व, स्थूलत्व, संस्थान, भेद, अन्धकार, छाया, आतप व उद्योत वाले भी होते हैं। (२३-२४)
पुद्गल के रूप - • अणव: स्कन्धाश्च । । २५।। पुद्गल (परम)अणुरूप तथा स्कन्धरूप हैं। (२५) • सङ्घातभेदेभ्य: उत्पद्यन्ते ।।२६।। पुद्गल-स्कन्ध की उत्पत्ति संधात-जुड़ने, भेद-टूटने, व संधात-भेद या
जुड़ने-टूटने से होती है। (२६)
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