Book Title: Tattvartha Sutram
Author(s): Ishvarchandra Shastri
Publisher: Ishvarchandra Shastri

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Page 51
________________ चतुर्थोऽध्यायः दशाष्ट पश्चमभेदभावनव्यन्तर ज्योतिष्काः॥१॥ . टीका। दशेति। तेषां देव-निकायानां विकल्पा यथा संख्यमेव भवन्ति। ते च यथा। दशविकल्पा भवनवासिनोऽसुरादयः व्यन्तरा अष्टविकल्पाः किन्नरादयः। पश्च विकल्पाः सयादयो ज्योतिर्गणाः। द्वादशविकल्पा वैमानिकाः कल्पोपपन्न पर्यन्ताः सौधर्मादयः। चतुर्निकायानां देवाणां मध्ये याहि पीतलेश्याख्यस्तृतीयदेवनिकायो ज्योतिष्क इति। अन्यद् भाष्य-टीकादावस्ति ॥१॥ | সব্যাখ্যানুবাদ। ভবনবাসী দেবগণ, ব্যস্তর কিন্নরগণ, সুর্যাদি গ্রহ প্রভৃতির যথাক্রমে দশ, আট, পাঁচ, দ্বাদশ বিভাগ সিদ্ধ আছে। কল্লোপপন্ন পর্যন্ত বৈমানিক সৌধর্মগণের দ্বাদশ প্রকার প্রভেদ আছে। চতুর্নিকায় (দেহবিশেষ) দেবগণের মধ্যে যে পীতলে তৃতীয় স্থলবর্তী জ্যোতিষ্কবিশেষ। চতুর্থাধ্যায়ে প্রথম সূত্রে যে চারি প্রকার দেব নিকায়ের উদ্দেশ করা হইয়াছে झीन शख डा। (810) () विटासका कथित रश्न ॥३॥ वैमानिका द्विविधाः कल्पज कल्पातीत भेदात् ॥२॥ टीका। वैमानिका इति। प्रागुक्ता वैमानिका ज्योतिष्कादेवाः सूर्यादयः। द्विविधा द्विप्रकाराः स्युः। एके कल्पजा अन्ये तु कल्पातीताः। "सर्याचन्द्रमसौ धाता यथा पूर्वमकल्पयत्"। इति श्रुतिः। अन्यच्च “सर्याचन्द्रमसोग्रहनक्षत्राणाञ्च परिस्पन्दोपचरितो यः स काल इति” दौगाः। सौधर्मा इन्द्राया भवन्ति। चतुर्थाध्यायस्य तृतीय सूत्रे, तदुद्दिश्य पश्चादष्टादशसत्रे हुयक्त "कल्पोपपन्नाः कल्पातीताश्चे"ति। एते च विमानेषु भवा वैमानिका देवाचतुर्थदेवनिकाया इति। "देवा वैमानिकादश” इति सांखेाव ॥२॥ সব্যাখ্যানুবাদ। পূর্বে কথিত বৈমানিক জ্যোতিষ্ক সূর্যাদি দেবগণ, ইহার দুইভাগে বিভক্ত। এক শ্রেণী কল্পজাত অপর এক শ্রেণী কল্পের অতীত। সৌধর্ম ইন্দ্র প্রভৃতি দেবগণ। (+) (क) माविकनयनवामी अश्वगन । (१) बालिका विजय पासुन किन्ननामि । (१) साविकन्न शामिজ্যোতিষ্কগণ। (ঘ) দ্বাদশবিকল্পবৈমানিক কল্লোপপন্ন সৌধৰ্ম্মাদি। (ঙ) চতুর্নিকায় দেবগণের মধ্যে পীতলেদেবগণ छौ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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